10 मार्च को यूपी चुनाव के रिजल्ट सामने आ जाएंगे।जिसमे 33 सालों के इतिहास में 2022 में ही सबसे कम प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। ऐसा लग रहा है कि उम्मीदवारों की दिलचस्पी उत्तर प्रदेश में कम होती जा रही है।

उत्तर प्रदेश विधान चुनाव का मतदान खत्म हो चुका है। अब विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के बाद रिजल्ट का इंजतार है। पूरे उत्तर प्रदेश में राजनीतिक माहौल अपने उफान पर दिख रहा है। लेकिन अगर हम आपको बताए कि यूपी में नेताओं की राजनीति में दिलचस्प कम हो रही है, तो यह चौकाने वाली बात होगी। हम यूं ही नहीं कह रहे कि उत्तर प्रदेश से नेताओं का मोहभंग हुआ है। बकायदा इसके 1989 से 2022 तक आंकड़ें भी मौजूद है। इन आंकड़ों को देखकर पता चलता है कि यूपी में उम्मीदवारों की संख्या कम होती जा रही है।
उत्तर प्रदेश को केंद्र की सत्ता में पहुंने का प्रमुख द्वार माना जाता है। इसके बाद भी 1989 से लगातार उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। साल 1989 में 6102 प्रत्याशी, 1991 में 7851 प्रत्याशी, 1993 में 9726 प्रत्याशी, 1996 में 4429 प्रत्याशी, 2002 में 5533 प्रत्याशी, 2007 में 6086 प्रत्याशी, 2012 में 6839 प्रत्याशी, 2017 में 4853 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। वहीं यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे कम 4441 प्रत्याशी मैदान में हैं।
साल | कुल प्रत्याशी |
1989 | 6102 |
1991 | 7851 |
1993 | 9726 |
1996 | 4429 |
2002 | 5533 |
2007 | 6086 |
2012 | 6839 |
2017 | 4853 |
2022 | 4441 |
इस बार कितने प्रत्याशी हैं मैदान में
विधानसभा चुनाव 2022 में कुल 4441 प्रत्याशी मैदान में हैं। वहीं 2017 में 4853 प्रत्यााशी चुनाव मैदान में थे। इस बार सिर्फ चार सीटें ही ऐसी हैं, जहां 15 से अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 2017 में प्रत्याशियों की संख्या पिछले कई बार के मुकाबले काफी कम है।
अब तक 80 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत हुई जब्त
1989 से लेकर उत्तर प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं। उसके आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें 80 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। यानि चुनावों में करीब 20 प्रतिशत प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाते हैं। सबसे अधिक 1993 में प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। 1993 में करीब 88.95 प्रतिशत प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे।