कोर्ट ने याचिकाओं में पहले से जारी अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया और ये भी कहा कि वर्तमान में बकाया बिलों के मामले में ये आदेश लागू नहीं होगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विद्युत उपभोक्ताओं को गलत औऱ फर्जी बिल भेजने को आपराधिक कृत्य बताते हुए सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि फर्जी बिल बनाकर वसूली करना उपभोक्ताओं के खिलाफ प्रतिवादियों का अवैध और मनमाना रवैया है. ये उपभोक्ताओं के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का हनन है. कोर्ट ने मामले में छह सवाल खड़ करते हुए ऊर्चा विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है. इसके साथ ही मामले में सुनवाई के लिए 14 मार्च की तिथि निश्चित की है.
न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने रामपुर के पुत्तन सहित दो अन्य याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है. कोर्ट ने कहाकि प्रतिविदियो की ओर से उपलब्ध कराए गए विवरण से प्रथम दृष्टया विद्युत अधिकारियों की ओर से फर्जी बही खाते के रखरखाव के संकेत मिलते हैं. बिना किसी जवाबदेही के उपभोक्ताओं की काल्पनिक देनदारियों को दर्शाते रहे हैं. मामले को रोकने के लिए ठोस प्रयास भी नहीं किए गए हैं.
कोर्ट ने उठाए ये सवाल
रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने याचिकाओं में पहले से जारी अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया और ये भी कहा कि वर्तमान में बकाया बिलों के मामले में ये आदेश लागू नहीं होगा. कोर्ट ने ये सवाल उठाए हैं:
- उपभोक्ताओं के गलत बिजली बिल तैयार करना और भेजना, उपभोक्ता बहीखाता समेत अभिलेखों में फर्जीवाड़ा और फर्जी बिला बनाकर वसूलना. इस तरह के लगातार बिल भेजे जाना और उस आधार पर उपभोक्ताओं से धन की वसूली के लिए कार्रवाई करना, इसमें जबरदस्ती गिरफ्तारी भी शामिल हैं. क्या ये प्रथम दृष्टया ये आईपीसी की धारा 166, 167, 218, 385, 471 के तहत दंडनीय आपराधिक कृत्य हैं?
- अगर ये आपराधिक कृत्य है तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत कार्रवाई की गई है?
- क्या उपभोक्ताओं के खिलाफ अनाधिकृत, अवैध, फर्जी और काल्पनिक बकाय राशि मांगें बनाना और उनसे वसूली के लिए कदम उठाना अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं?
- क्या राज्य सरकार उपभोक्ताओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना चाहती है?
- क्या गलत, फर्जी बिजली बिल, रिकॉर्ड और उपभोक्ता खाता बही बनाकर मांग उटाने के मामले में दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं?
- क्या राज्य सरकार ने उपभोक्ताओं के खिलाफ फर्जी बकाया, फर्जी मांगों की जांच के लिए कोई एजंसी तय की है.