
मुंगरा बादशाहपुर, यूपी के जौनपुर जिले में आने वाला वह विधानसभा क्षेत्र, जिसके एक छोर पर प्रतापगढ़ तो दूसरे छोर पर इलाहाबाद जिला आता है। यूपी विधानसभा चुनाव के चलते मैं खुश हूं। मुझे उम्मीद है कि 2022 का साल मेरे लिए खुशहाली लेकर आएगा। हालांकि वो खुशहाली तब मिलेगी, जब किसी सत्ताधारी पार्टी का प्रत्याशी यहां से चुनाव जीते। क्योंकि यह दुर्भाग्य ही रहा है कि अब तक हुए सभी चुनावों में कभी सत्ताधारी पार्टी का विधायक यहां से नहीं जीता। इसके चलते आज भी मैं यानी मुंगरा बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र बदहाल और विकास से कोसों दूर हूं। मेरी कहानी ऐसी है कि जो सुनता है वो भी कह उठता है कि कैसा है तेरा नसीब रे मुंगरा।
कहानी की शुरुआत मेरे विधानसभा क्षेत्र बनने की। क्योंकि मैं पहले विधानसभा क्षेत्र नहीं था। दो विधानसभा (मछली शहर और गढ़वारा) क्षेत्रों के बीच में होने के चलते हर बार नेता यहां से जीतते और वादे करके चले जाते थे। लेकिन मेरा भाग्य नहीं बदला। 2007 यूपी विधानसभा चुनाव के साल भर बाद हुए परिसीमन में मेरा वजूद सबके सामने आया। उससे पहले मेरा आधा हिस्सा मछलीशहर विधानसभा और आधा गढ़वारा विधानसभा क्षेत्र में हुआ करता था। परिसीमन में गढ़वारा विधानसभा को खत्म करके उसके एक तिहाई हिस्से को मेरे यानी मुंगरा बादशाहपुर विधानसभा में जोड़ दिया गया, जबकि बाकी बचे हिस्से को बदलापुर विधानसभा क्षेत्र बनाकर शामिल कर दिया गया।
प्रदेश में सपा की सरकार तो कैसे होता बीजेपी विधायक के क्षेत्र में काम?
अखिलेश यादव की अगुवाई में बनी समाजवादी पार्टी की सरकार ने प्रदेश में विकास तो बहुत किया लेकिन मैं यानी मुंगरा विधानसभा क्षेत्र उस विकास से अछूता रहा। इसके पीछे का कारण जानना चाहा तो पता चला कि सरकार अपने विधायकों यानी समाजवादी पार्टी की जीतीं सीटों पर विकास को तवज्जो दे रही है। यह सुनकर गुस्सा तो आया लेकिन मन मसोटे अच्छे दिन का इंतजार करने लगा। मुझे उम्मीद थी कि एक दिन कोई विधायक मुंगरा से निकलेगा और सत्ताधारी सरकार के साथ मिलकर यहां की जनता को विकास का तोहफा देगा। इस उम्मीद में 5 साल निकल गए।
मोदी सुनामी ने भी बसपा के खाते में गई सीट
2017 में एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव ने दस्तक दी। इस दौरान पूरे प्रदेश में ‘मोदी सुनामी’ आई। तीन सौ से अधिक विधानसभा सीटों के साथ यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। कहा जाता है कि प्रदेश भर में मोदी सुनामी के चलते कई ऐसे विधायक भी चुने गए जो अगर अपने गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ते तो वो भी हार जाते। उस चुनाव में मोदी के जादू ने सबका बेड़ा पार दिया। मगर अफसोस यह लहर भी मुझसे यानी मुंगरा विधानसभा क्षेत्र से दूर रही। क्योंकि मोदी लहर में भी इस सीट पर बसपा की हाथी दौड़ गई। यहां से बीएसपी की सुषमा पटेल ने बीजेपी की मौजूदा विधायक सीमा द्विवेदी को हरा दिया। इस तरह से एक बार फिर मुंगरा विधायक की नजदीकी सत्ता से दूर रही और विकास कोसों दूर रहा।
योगी सरकार में मिला ‘विकास का आश्वासन’
प्रदेश में 2017 में बनी योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले दो काम ‘किसान कर्ज माफी’ और ‘सड़कों को गड्ढामुक्त’ करने के ऐलान से मुझे यानी मुंगरा बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में भी उम्मीद जगी। इस दौरान हजारों किसानों के कर्जें तो माफ हुए लेकिन सड़कों की हालत ऐलान के माफिक नहीं सुधरी। मुंगरा-सुजानगंज और मुंगरा-जंघई रोड की हालत ऐसी हो गई थी क्या कहें। आलम यह था कि बारिश के दौरान गुस्साए लोगों ने बीच सड़क में धान के पौधे भी रोपे थे। तब सरकार का दिल पसीजा और सुधार के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई। अब सड़क की हालत फिर से बदहाल है।
जाम के चलते होता है ‘कोरोना वाला फील’
मेरे घर यानी मुंगरा बादशाहपुर में एक रेलवे स्टेशन है। यहां पर कई ट्रेनें दिनभर आती-जाती रहती हैं। ऐसे में रेलवे फाटक बंद रहता है। इसके चलते रोजाना घंटों जाम लगता है। जाम में कई बार हालत ऐसी हो जाती है कि आपका दम फूल जाए और लगे कि कोरोना तो नहीं हो गया। हालांकि रेलवे फाटक की समस्या दूर कर केंद्र सरकार की ओर से ओवरब्रिज मंजूर किया गया है लेकिन वो अभी फाइलों में ही अटकी है। इस समस्या को अगर विधायक की ओर से उठाया गया होता तो अटका काम पूरा हो सकता था लेकिन यहां से जीतीं विधायक ने मेरी यानी मुंगरा की जनता को धोखा दिया और बसपा छोड़कर साइकिल पर सवार होकर जिले की दूसरी सीट से चुनाव लड़ने चली गईं।