नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) दिल्ली के विद्यालयों में दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों को ऑफलाइन कक्षाओं में हिस्सा लेने के लिए अपने अभिभावकों से सहमति पत्र की आवश्यकता नहीं है। शिक्षा निदेशालय ने यह जानकारी दी है।

पिछले दो साल में पहली बार राष्ट्रीय राजधानी में सभी स्कूल एक अप्रैल से पूरी तरह से ऑफलाइन मोड में चलेंगे। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक अप्रैल से हाइब्रिड मोड में स्कूल संचालन को समाप्त करने की पिछले हफ्ते मंजूरी दी थी। शिक्षा निदेशालय ने एक पत्र में कहा, ‘‘सभी स्कूल 10वीं और 1वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए
शिक्षा निदेशालय ने एक पत्र में कहा, ‘‘सभी स्कूल 10वीं और 1वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए ऑफलाइन क्लास चला सकते हैं। ऑफलाइन कक्षाओं के लिए अब अभिभावकों की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। स्कूल कोविड-अनुकूल नियमों का पालन करते हुए परिवहन सुविधाएं भी उपलब्ध करा सकते हैं।’’
राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले मार्च 2020 में बंद कर दिये गये थे। बाद में स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से हाइब्रिड मोड में चलाया गया था।
गोवा के विद्यालयों में सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को ऑफलाइन कक्षाओं में हिस्सा लेने के लिए अपने अभिभावकों से सहमति पत्र की आवश्यकता नहीं है. गोवा सरकार ने मंगलवार को पैरेंट की सहमति के लिए जारी किया गया सर्कुलर वापस ले लिया है. सरकार ने एक नया परिपत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि सरकारी, सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और विशेष स्कूलों के प्रमुखों से छात्रों को शारीरिक रूप से कक्षाओं में भाग लेने के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी नहीं होगी. माता-पिता द्वारा सहमति प्रपत्रों पर आपत्ति जताए जाने के कुछ दिनों बाद नया सर्कुलर जारी किया गया है.
कोरोना के नियमों का स्कूलों किया जा रहा पालन
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को मानक संचालन प्रक्रियाओं और कोविड के नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है. गोवा के बाद दिल्ली में भी अभिवावकों की सहमित को हटा दिया है. 10वीं से 12वीं के स्टूडेंट्स को स्कूल जाने के लिए अब अभिभावकों की सहमति की जरूरत नहीं है.