यूक्रेन संकट पर पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की.

विदेश मंत्री एस जयशंकर बैठक का हिस्सा थे, जिसमें शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने भी भाग लिया। मोदी ने उत्तर प्रदेश से लौटने के तुरंत बाद बैठक की अध्यक्षता की, जहां उन्होंने राज्य विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के अभियान के तहत रैलियों को संबोधित किया। देश पर रूस के हमले के बाद बड़ी संख्या में भारतीय, जिनमें ज्यादातर छात्र हैं, यूक्रेन में फंसे हुए हैं। भारत ने उन्हें निकालना शुरू कर दिया है और शनिवार से अब तक 900 से अधिक लोगों को वापस लाया जा चुका है। मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के नेता वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से भी बात की है, भारत ने संकट को कम करने के लिए बातचीत का आह्वान किया है।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब यूक्रेन के कई हवाई अड्डों, ईंधन केंद्रों और अन्य प्रतिष्ठानों पर हमले के बाद रविवार को रूसी सेना ने दक्षिण क्षेत्र में स्थित रणनीतिक बंदरगाहों पर भी नियंत्रण करने का प्रयास किया। हालांकि शहरों में रूस को यूक्रेन के जबरदस्त प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पीएम की बैठक 2 घंटे से ज्यादा समय तक चली। बैठक में पीएम ने कहा कि हमारे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें यूक्रेन से निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके अलावा निकासी में तेजी लाने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के मद्देनजर पैदा हुई वैश्विक स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पिछले दिनों बात की थी और हिंसा रोकने और वार्ता आरंभ करने की अपील की थी।इसके बाद शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने मोदी से बातचीत की और अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमले को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा
इस दौरान, भारत ने दोनों देशों के बीच शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई। मोदी ने वहां जारी संघर्ष की वजह से जान व माल को हुए नुकसान पर गहरी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने भारतीय नागरिकों को जल्द और सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन के अधिकारियों से उपयुक्त कदम उठाने का भी अनुरोध किया। भारत अभी तक एक हजार के करीब अपने नागरिकों को वापस लाने में सफल रहा है। उसकी प्राथमिकता वहां फंसे भारतीयों को वापस लाने की है।