यूक्रेन-रूस में तनाव के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य कार्रवाई का आदेश दे दिया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुये यूक्रेन ने अपने देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया है.

रूस और यूक्रेन के बीच आखिरकार युद्ध शुरू हो गया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा सैन्य कार्रवाई का आदेश देने के बाद रूसी सेना यूक्रेन में कई ठिकानों पर जमकर बमबारी कर रही है. यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर हमले किए गए हैं. रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उसने यूक्रेन के डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह से तबाह कर कर दिया है. वहीं, यूक्रेन ने भी कहा है कि पलटवार करते हुए उसने भी रूस के पांच विमानों और हेलीकॉप्टरों को को मार गिराया है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन द्वारा सैन्य कार्रवाई का आदेश देने के बाद यूक्रेन ने अपने देश में मार्शल लॉ लगा दिया है, जिसके बाद पूरे देश में अफरातफरी का माहौल बना हुआ है. कई अहम इलाकों को कुछ ही मिनटों में पूरी तरह से खाली करवा लिया गया और रूस को जवाब देने के लिए सेना ने मोर्चा संभाल लिया है.
क्या होता है मार्शल लॉ?
मार्शल लॉ की साधे शब्दों में मतलब है सेना का राज या कानूनय इस वक्त सेना का समाज पर पूर्ण नियंत्रण हो जाता है, उन्हें मार्शल लॉ के रूप में जाना जाता है. इसके बाद सेना की ओर से दिए गए दिशा-निर्देश के हिसाब से ही लोगों को काम करना होता है और सेना पूरा कार्यभार संभाल लेती है. यह सेना द्वारा प्रशासित कानून है. अभी यूक्रेन में भी यह लागू किया गया है और यह देश कई अलग अलग परिस्थितियों में लागू करते हैं.
दरअसल, मार्शल लॉ को किसी आपात स्थिति में, किसी संकट की प्रतिक्रिया में या फिर कब्जे वाले क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए लागू किया जाता है. इसके बाद उस क्षेत्र में डायरेक्ट मिलिट्री कंट्रोल हो जाता है और अब यूक्रेन में ऐसा हो रहा है. ऐसा नहीं है कि ऐसा यूक्रेन में ऐसा पहली बार हो रहा है, इससे पहले भी कई देशों में ऐसा हो चुका है.
फिर क्या होता है?
जब कुछ विपरीत परिस्थितियों में मार्शल लॉ लागू किया जाता है तो नागरिक स्वतंत्रता और उनके मूल अधिकार रद्द माने जाते हैं. इस कानून के लागू होते ही नागरिक स्वतंत्रता से जुड़े मूल अधिकार जैसे कि मुक्त आवाजाही, बोलने की स्वतंत्रता, अनुचित खोजों से सुरक्षा और बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून निलंबित हो जाते हैं. इसके बाद कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं और बैठक, आंदोलनों और राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं.
इस लॉ में अधिकांश जगह कर्फ्यू लगा दिया जाता है, सिविल लॉ, सिविल अधिकार खत्म हो जाते हैं. इसके अलावा जो लोग इस लॉ का पालन नहीं करते हैं, उनके साथ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया अपनाई जाती है. बता दें कि इससे पहले यूक्रेन में 30 दिन के लिए इमरजेंसी घोषित कर दी गई थी.
रूस-यूक्रेन को लेकर क्या है अपडेट?
रूसी रक्षा मंत्रालय की ओर से दावा किया गया कि खुफिया डेटा से पता चलता है कि यूक्रेनी सेना की इकाइया और सैनिक बड़े पैमाने पर अपने पोजिशन्स को छोड़ रहे हैं, अपने हथियार फेंक रहे हैं. यूक्रेनी सेना की इकाइयों की स्थिति जिन्होंने अपने हथियार रखे हैं, हमलों के अधीन नहीं हैं. यूक्रेन में लोग शहर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.