
मराठा साम्राज्य के संस्थापक वीर छत्रपति शिवाजी की आज 392वीं जयंती है। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता का शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था। उनके बड़े भाई का नाम संभाजी था जिन्हें वे दादा साहिब कहकर पुकारते थे। शिवाजी पर उनकी माता जीजाबाई के संस्कार का असर था। उनकी प्रेरणा और शिक्षा ने शिवाजी को एक वीर, कुशल और चतुर शासक बना दिया था। उन्होंने छापामार युद्ध की कला में काफी कुशल थे। उनकी सूझबूझ और कुशल रणनीति का मुगल शासक भी लोहा मानते थे। शिवाजी ने अपने इन्हीं गुणों के दम पर मराठा साम्राज्य की एक मजबूत नींव रखी थी। वे प्रेरक व्यक्तित्व के थे, जो आज भी और हमेशा अपने विचारों से नई पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं। आज हम छत्रपति शिवाजी की जयंती के अवसर आपको शिवाजी महाराज के प्रेरक विचारों से अवगत कराते हैं।
छत्रपति शिवाजी के विचार
- शिवाजी एक धार्मिक और सत्य निष्ठा व्यक्ति थे। वे उनका कहना था कि ‘दुनिया सिर्फ उन लोगों का सम्मान करती है, जो धर्म, सत्य, श्रेष्ठता और ईश्वर के आगे अपना सिर झुकाते हैं।’
- वह कहते थे ‘स्वतंत्रता एक वरदान है और उस पर सबका समान अधिकार है। हर व्यक्ति स्वतंत्रता पूर्वक रहने का अधिकारी है।’
- वह एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उनका कहना था कि ‘कभी भी अपना सिर मत झुकाओ, उसे हमेशा उसे ऊंचा रखो।’
- शिवाजी के जीवन में उनकी माता का स्थान सबसे प्रमुख रहा है। इसलिए वे कहते थे कि ‘नारी का सबसे महान अधिकार उसका मां बनना है।’ वे महिला के अन्य अधिकारों के भी पक्षधर थे।
- उनकी साहस का परिचय उनके इस विचार से पता चलता है। वे कहते थे ‘जब हौसले बुलंद हों, तो पहाड़ भी मिट्टी के ढेर समान लगता है।’
- छत्रपति शिवाजी का कहना था कि ‘अपने दुश्मन को कभी भी कमजोर न समझो, लेकिन उसे बलवान समझकर डरो भी नहीं। बलवान दुश्मन को अपने साहस और इरादों से हराया जा सकता है।’
- वह कहते थे कि ‘सिर्फ शक्ति होने से कोई शासक नहीं हो सकता है, उसके लिए एक इच्छाशक्ति होनी चाहिए, जिससे एक सत्ता स्थापित हो सके।’
- वह हमेशा कहते थे कि ‘कोई भी काम करने से पूर्व उसके परिणाम को जान लेना बेहतर होता है। क्योंकि हम जो काम करते हैं, उसका अनुसरण आने वाली पीढ़ियां करती हैं।’
- उन्होंने कहा था ‘जो व्यक्ति मुश्किल हालात में भी पूरे मनोयोग से अपने उद्देश्य के लिए कार्य करता रहता है, उसका समय खुद ही बदल जाता है।’