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सरकार ने वित्त वर्ष 2022-27 के लिए प्रौढ़ शिक्षा की नई योजना ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ को दी मंजूरी

“नव भारत साक्षरता कार्यक्रम” की अनुमानित कुल लागत 1037.90 करोड़ रुपये है, जिसमें वित्त वर्ष 2022-27 के लिए क्रमशः 700 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा और 337.90 करोड़ रुपये का राज्य हिस्सा शामिल है.

योजना को ऑनलाइन मोड के माध्यम से स्वयंसेवा के माध्यम से लागू किया जाएगा. स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण, अभिविन्यास, कार्यशालाओं का आयोजन फेस-टू-फेस (आमने-सामने) मोड के माध्यम से किया जा सकता है. आसान पहुंच के लिए सभी सामग्री और संसाधन आसानी से सुलभ डिजिटल मोड, जैसे टीवी, रेडियो, सेल फोन-आधारित फ्री / ओपन-सोर्स ऐप और पोर्टल आदि के माध्यम से पंजीकृत स्वयंसेवकों तक डिजिटल रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे.

देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगी योजना

यह योजना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के गैर-साक्षर लोगों को कवर करेगी. वित्त वर्ष 2022-27 के लिए आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता का लक्ष्य राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, एनसीईआरटी और एनआईओएस के सहयोग से “ऑनलाइन अध्यापन, शिक्षण और मूल्यांकन प्रणाली” का उपयोग करके प्रतिवर्ष 1.00 करोड़ की दर से 5 करोड़ शिक्षार्थियों का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें कोई शिक्षार्थी नाम, जन्म तिथि, लिंग, आधार संख्या, मोबाइल नंबर आदि जैसी आवश्यक जानकारी के साथ अपना पंजीकरण करा सकता है.

“नव भारत साक्षरता कार्यक्रम” की अनुमानित कुल लागत 1037.90 करोड़ रुपये है, जिसमें वित्त वर्ष 2022-27 के लिए क्रमशः 700 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा और 337.90 करोड़ रुपये का राज्य हिस्सा शामिल है.

योजना की मुख्य विशेषताएं

1. स्कूल इस योजना के क्रियान्वयन की इकाई होगा.

2. लाभार्थियों और स्वैच्छिक शिक्षकों (वीटी) का सर्वेक्षण करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्कूल.

3. विभिन्न आयु समूहों के लिए अलग-अलग रणनीति अपनाई जाएगी. नवोन्मेषी गतिविधियों को शुरू करने के लिए राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को लचीलापन प्रदान किया जाएगा.

4. 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के सभी गैर-साक्षर लोगों को महत्वपूर्ण जीवन कौशल के माध्यम से मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्रदान की जाएगी.

5. योजना के व्यापक कवरेज के लिए प्रौढ़ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकियों का उपयोग.

6. राज्य/केंद्रशासित प्रदेश और जिला स्तर के लिए प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) यूडीआईएसई पोर्टल के माध्यम से भौतिक और वित्तीय प्रगति दोनों के बीच संतुलन कायम करते हुए वार्षिक आधार पर योजना और उपलब्धियों को लागू करने के लिए राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन को दिखाएगा.

7. आईसीटी समर्थन, स्वयंसेवी सहायता प्रदान करने, शिक्षार्थियों के लिए सुविधा केंद्र खोलने और सेल फोन के रूप में आर्थिक रूप से कमजोर शिक्षार्थियों को आईटी पहुंच प्रदान करने के लिए सीएसआर/ परोपकारी सहायता प्रदान की जा सकती है.

8. साक्षरता में प्राथमिकता और पूर्ण साक्षरता – 15-35 आयु वर्ग को पहले पूर्ण रुप से साक्षर किया जाएगा और उसके बाद 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को साक्षर किया जाएगा. लड़कियों और महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी/अल्पसंख्यकों, विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों (दिव्यांगजन), हाशिए वाले/घुमंतू/निर्माण श्रमिकों/मजदूरों/आदि श्रेणियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो प्रौढ़ शिक्षा से पर्याप्त रूप से और तुरंत लाभ उठा सकते हैं. स्थान/क्षेत्र के संदर्भ में, नीति आयोग के तहत सभी आकांक्षी जिलों, राष्ट्रीय/राज्य औसत से कम साक्षरता दर वाले जिलों, 2011 की जनगणना के अनुसार 60 प्रतिशत से कम महिला साक्षरता दर वाले जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अल्पसंख्यक की अधिक जनसंख्या, शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों/ब्लॉकों पर ध्यान दिया जाएगा.

9. नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (एनआईएलपी) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मंत्रालयों और विभागों के साथ सामंजस्य: इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय: डिजिटल साक्षरता, खाद्य सुरक्षा विभाग/ खाद्य मंत्रालय: वित्तीय साक्षरता, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय: कौशल विकास, न्याय विभाग/कानून एवं न्याय मंत्रालय: कानूनी साक्षरता, रक्षा मंत्रालय: एनसीसी स्वयंसेवी और पूर्व-सैनिकों की भागीदारी, युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय: नेहरू युवा केंद्र संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की भागीदारी, ग्रामीण विकास मंत्रालय: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और दीनदयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई), सहकारिता मंत्रालय: सहकारी समितियों की भागीदारी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय: स्वास्थ्य और स्वच्छता साक्षरता, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) / गृह मंत्रालय: आपदा प्रबंधन, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय: अल्पसंख्यकों के बीच कार्यान्वयन के लिए, उच्च शिक्षा विभाग: सतत शिक्षा, संस्कृति मंत्रालय: पुस्तकालय, सांस्कृतिक साक्षरता, पंचायती राज मंत्रालय: पंचायत सहायता के लिए, ग्रामीण पुस्तकालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भागीदारी और जनजातीय कार्य मंत्रालय: जनजातीय क्षेत्रों में कार्यान्वयन आदि.

10. जनांदोलन के रूप में एनआईएलपी:

• यूडीआईएसई के तहत पंजीकृत लगभग 7 लाख स्कूलों के तीन करोड़ छात्र / बच्चे के साथ-साथ सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के लगभग 50 लाख शिक्षक स्वयंसेवक के रूप में भाग लेंगे.

• शिक्षक शिक्षा और उच्च शिक्षा संस्थानों के अनुमानित 20 लाख छात्र स्वयंसेवक के रूप में सक्रिय रूप से शामिल किए जाएंगे.

• पंचायती राज संस्थाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और नेहरू युवा केंद्र संगठन, एनएसएस और एनसीसी के लगभग 50 लाख स्वयंसेवकों से सहायता प्राप्त की जाएगी.

• स्वैच्छिकता के माध्यम से और विद्यांजलि पोर्टल के माध्यम से समुदाय की भागीदारी, परोपकारी / सीएसआर संगठनों की भागीदारी होगी.

• राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश विभिन्न मंचों के माध्यम से व्यक्तिगत/परिवार/गांव/जिले की सफलता की गाथाओं को बढ़ावा देंगे.

• यह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, टीवी चैनल, रेडियो आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, लोक और इंटर-पर्सनल प्लेटफॉर्म जैसे सभी प्रकार के मीडिया का उपयोग करेगा.

11. मोबाइल ऐप, ऑनलाइन सर्वेक्षण मॉड्यूल, भौतिक तथा वित्तीय मॉड्यूल एवं निगरानी संरचना आदि से लैस समेकित डेटा कैप्चरिंग के लिए एनआईसी द्वारा केंद्रीय पोर्टल विकसित किया जाएगा.

12. कार्यात्मक साक्षरता के लिए वास्तविक जीवन की सीख और कौशल को समझने के लिए वैज्ञानिक प्रारूप का उपयोग करके साक्षरता का आकलन किया जाएगा. मांग पर मूल्यांकन भी ओटीएलएएस के माध्यम से किया जाएगा और शिक्षार्थी को एनआईओएस तथा एनएलएमए द्वारा संयुक्त रूप से ई-हस्ताक्षरित ई-प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा.

13. प्रत्येक राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश से चुने गए 500-1000 शिक्षार्थियों के नमूनों और परिणाम-उत्पादन निगरानी संरचना (ओओएमएफ) द्वारा सीखने के परिणामों का वार्षिक उपलब्धि सर्वेक्षण.

देश में प्रौढ़ शिक्षा का नाम बदलकर अब ‘सभी के लिए शिक्षा’ रखा गया है: एक प्रगतिशील कदम के रूप में, यह भी निर्णय लिया गया है कि अब से “प्रौढ़ शिक्षा” के स्थान पर “सभी के लिए शिक्षा” शब्द का प्रयोग किया जाएगा. मंत्रालय इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि “प्रौढ़ शिक्षा” शब्दावली में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के सभी गैर-साक्षरों को उचित रूप से शामिल नहीं किया जा रहा है.

2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में गैर-साक्ष्यों की कुल संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिला 16.68 करोड़) है. 2009-10 से 2017-18 के दौरान साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत साक्षर के रूप में प्रमाणित व्यक्तियों की 7.64 करोड़ की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में भारत में लगभग 18.12 करोड़ वयस्क अभी भी गैर-साक्षर हैं.

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Pooja Pandey

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