काम की बात टेक्नोलॉजी

गूगल करने जा रहा है एंड्रॉयड ऐप्स की प्राइवेसी में बड़ा बदलाव, डेटा कलेक्शन को किया जाएगा लिमिटेड

गूगल की ये पहल मेटा जैसी फर्मों के लिए एक झटका होगी, जो कस्टमर बिहेवियर को ट्रैक करने के लिए ऐप पर अपना कोड डालने पर भरोसा करती हैं.

गूगल ने एंड्रॉयड के ऐड-ट्रैकिंग सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए एक मल्टी-ईयर इनीशिएटिव की घोषणा की है. कंपनी ने कहा कि वह एंड्रॉयड इकोसिस्टम पर ऐड ट्रैकिंग को लिमिटेड करने के लिए एक प्राइवेसी सैंडबॉक्स डेवलप कर रही है. प्राइवेसी सैंडबॉक्स के तहत डेवलप किए जाने वाले सॉल्यूशन थर्ड पार्टी के साथ यूजर डेटा शेयरिंग को लिमिटेड कर देंगे. गूगल ने क्रोम ब्राउजर पर डेटा ट्रैकिंग को लिमिटेड करने के लिए एंड्रॉइड-बेस्ड स्मार्टफोन पर ऐप्स को कवर करने के लिए प्राइवेसी बढ़ा दी है. गूगल ने यह भी कहा कि वह ऐसी टेक्नोलॉजी की खोज कर रहा है जो सीक्रेट डेटा कलेक्शन की कैपेसिटी को कम करती हैं, जिसमें ऐप्स को ऐड एसडी के साथ इंटीग्रेट करने के सिक्योर तरीके भी शामिल हैं.

गूगल के एंड्रॉयड सेफ्टी एंड प्राइवेसी के वॉइस प्रेसीडेंट एंथनी शावेज ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, “एंड्रॉयड पर प्राइवेसी सैंडबॉक्स के साथ हमारा टारगेट इफेक्टिव और प्राइवेसी बढ़ाने वाले ऐड सॉल्यूशन डेवलप करना है, जहां यूजर जानते हैं कि उनकी जानकारी सिक्योर है और डेवलपर्स और बिजनेस परपस के लिए मोबाइल टूल्स हैं.” उन्होंने कहा, “जब हम इन नए सॉल्यूशन्स को डिजाइन, डेवलप और ट्रायल करते हैं, तो हम उन्हें कम से कम दो सालों के लिए मौजूदा ऐड प्लेटफॉर्म फीचर्स का सपोर्ट करने के हिसाब से बनाते हैं, और हम भविष्य में होने वाले किसी भी बदलाव से पहले नोटिस देना चाहते हैं.”

इस साल जारी होगा डेवलपर प्रीव्यू

कंपनी ने यह भी कहा कि अब डेवलपर्स एंड्रॉयड के लिए प्राइवेसी सैंडबॉक्स पेश करने के लिए गूगल के शुरुआती ऑफर्स का रिव्यू करने और फीडबैक शेयर कर सकेंगे. गूगल इस साल डेवलपर प्रीव्यू और साल के आखिर तक डिस्कस किए गए फीचर्स का बीटा वर्जन जारी करने की प्लान बना रहा है.

ऐप से कलेक्ट किए जाने वाले डेटा को किया जाएगा लिमिटेड

इन सबका मतलब यह है कि गूगल अपने एंड्रॉयड इकोसिस्टम के लिए प्राइवेसी टूल्स का एक नया सेट डेवलप कर रहा है जो ऐप डेवलपर्स द्वारा यूजर्स के बारे में अपने ऐप से कलेक्ट किए जाने वाले डेटा को लिमिटेड कर देगा. इस डेटा का इस्तेमाल डेवलपर्स और कंपनियां अपने ऐप्स में यूजर बिहेवियर को ट्रैक करके और कभी-कभी दूसरे ऐप्स के मामले में भी यूजर्स को टारगेट ऐड देने के लिए करती हैं. गूगल की ये पहल मेटा जैसी फर्मों के लिए एक झटका होगी, जो कस्टमर बिहेवियर को ट्रैक करने के लिए ऐप पर अपना कोड डालने पर भरोसा करती हैं.

ये टूल यूजर्स को टारगेट ऐड को डिलीवर करने के लिए अपने डेटा को ट्रैक करने के लिए ऐप्स को परमीशन देने या रिजेक्ट करने का ऑप्शन देंगे. यानी कि ऐप्स को अपने ऑनलाइन बिहेवियर पर नजर रखने के लिए यूजर की परमीशन लेनी होगी. इन नए टूल से यूजर्स को कंट्रोल ऑफर करने की भी उम्मीद है जो उन्हें ऐप्स द्वारा कलेक्ट किए जाने वाले डेटा और इसके इस्तेमाल के तरीके को लिमिटेड करने में सक्षम बनाएगा.

एपल पहले ही पेश कर चुका है प्राइवेसी टूल

एप्पल ने पिछले साल इसी तरह के प्राइवेसी टूल पेश किए थे. कंपनी ने पिछले साल iOS 14.5 के रोल आउट के साथ ऐप ट्रैकिंग ट्रांसपेरेंसी फीचर पेश किया था. इस फीचर ने डेवलपर्स को यूजर्स को ऐप्स और वेबसाइटों पर अपने डेटा को ट्रैक करने की परमीशन देने या रिजेक्ट करने का ऑप्शन देने के लिए मजबूर किया. यह ऑप्शन एक स्टैंडर्ड सिग्नल के रूप में दिया गया है. अगर यूजर ‘परमीशन दें’ ऑप्शन पर टैप करते हैं, तो ऐप्स यूजर्स को ट्रैक करना जारी रखेंगे जैसा कि उन्होंने फीचर शुरू होने से पहले किया था. हालाँकि, अगर यूजर ‘आस्क ऐप नॉट टू ट्रैक’ ऑप्शन पर टैप करते हैं, तो डेवलपर अपने ऐप में अपने डेटा का इस्तेमाल करके ग्राहकों को ट्रैक नहीं कर पाएगा. वे अन्य कंपनियों को कलेक्ट किए गए डेटा को भी नहीं देख पाएंगे.

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Pooja Pandey

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