यूरोप का विश्व रिकॉर्ड टूटेगा मणिपुर में बन रहा है रेलवे पुल पूरा तैयार हो जाने के बाद यूरोप के मोंटेनीग्रो माला स्थित रिजेका वायडक्ट पुल के रिकॉर्ड को तोड़ देगा. मोंटेनीग्रो पुल के पिलर की ऊंचाई 139 मीटर है. जबकि इस रेलवे पिलर की ऊंचाई उससे 2 मीटर अधिक यानी 141 मीटर होगी.

भारतीय रेलवे मणिपुर में दुनिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण कर रही है। यह पुल 111 किलोमीटर लंबे जिरीबाम-इंफाल रेल परियोजना का हिस्सा है। रेलवे की यह महात्वाकांक्षी योजना राजधानी मणिपुर को देश के ब्राड गेज नेटवर्क से जोड़ेगी। इसका निर्माण 141 मीटर की ऊंचाई पर किया जा रहा है। ऊंचाई के लिहाज से यह ब्रिज यूरोप के मोंटेनेग्रो के माला-रिजेका वायडक्ट के मौजूदा रिकार्ड को तोड़ देगा।
यूरोप का विश्व रिकॉर्ड टूटेगा
मणिपुर में बन रहा है रेलवे पुल पूरा तैयार हो जाने के बाद यूरोप के मोंटेनीग्रो माला स्थित रिजेका वायडक्ट पुल के रिकॉर्ड को तोड़ देगा. मोंटेनीग्रो पुल के पिलर की ऊंचाई 139 मीटर है. जबकि इस रेलवे पिलर की ऊंचाई उससे 2 मीटर अधिक यानी 141 मीटर होगी. वहीं मणिपुर की नोनी पहाड़ी पर तैयार हो रहा रेलवे पुल के पिलर की ऊंचाई दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज चिनाब आर्क ब्रिज के लिए तैयार किए गए पिलर की ऊंचाई से भी अधिक है. चिनाब रेलवे ब्रिज की ऊंचाई 131 मीटर है.
पुल के बनने से 10 से 12 घंटे का सफर ढाई घंटे में पूरा होगा
यह पुल नार्थ ईस्ट के राज्यों के वरदान साबित होने जा रहा है. एक तरफ इस रेलवे पुल के तैयार होने के बाद यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बन जाएगा. वहीं इससे पुल से स्थानीय लोगों की यात्रा भी सुगम हो जाएगी. जीरीबाम इम्फाल रेलवे परियोजना के तहत तैयार हो रहा यह रेलवे पुल 111 किमी यात्रा को आसान बनाएगा. अभी तक इस 111 किमी की यात्रा के लिए लोगों को 10 से 12 घंटे का सफर तय करना होता है. वहीं इस पुल के तैयार हो जाने के बाद 111 किमी की यह यात्रा ढाई घंटे में पूरी हो जाएगी.
2023 तक परिचालन शुरू करने की योजना
जीरीबाम इम्फाल रेलवे परियोजना 111 किलोमीटर लंबी है. यह परियोजना एक्स ईस्ट नीति का का हिस्सा है. इसके तहत पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियों को रेलवे के द्वारा बड़ी लाइन से जोड़ने का काम किया जा रहा है. वहीं दूसरे सीमावर्ती क्षेत्रों में रेल के नेटवर्क को मजबूत करने का भी प्रयास किया जा रहा है. इस पुल की लंबाई 703 मीटर है. जबकि ऊंचाई 141 मीटर है. पुल के खंभों का निर्माण हाइड्रोलिक आगर्स का उपयोग करके किया जा रहा है. वहीं इस पुल में स्लिप फॉर्म तकनीकी का भी इस्तेमाल किया गया है. इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से बजट भी जारी हो चुका है. पुल का निर्माण 2022 तक पूरा करने की योजना है, जबकि 2023 में पुल पर परिचालन शुरू करने की योजना प्रस्तावित है. 2008 में इस परियोजना को शुरू किया गया था. इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जा चुका है.