कोरोना वायरस शरीर के बाहर कितने समय तक जीवित रह सकता है.

कोरोनावायरस के वेरिएंट आने का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा. अल्फा, बीटा, लैम्डा, ओमिक्रॉन समेत इसके कई वेरिएंट सामने आ चुके हैं. वैज्ञानिकों ने कहना है, यह वायरस एक जगह रुककर अपने अंदर कई तरह के बदलाव करता है. नतीजा, संक्रमण का खतरा और जान का जोखिम दोनों बढ़ता है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि कोरोनावायरस आखिर कितने समय तक जिंदा रहता है. शरीर से बाहर वायरस कैसे सर्वाइव कर पाते हैं. इस सवाल के जवाब में मेयो क्लीनिक की रिपोर्ट में कई अहम बातें कही गई हैं. जो बताती हैं कि वायरस कहां पर अधिक समय तक जिंदा रह सकता है.
मेयोक्लीनिक की रिपोर्ट का कहना है, कोल्ड, फ्लू और दूसरी तरह के वायरस कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन तक जिंदा रहते हैं, इसलिए इनसे संक्रमण का खतरा बना रहता है. यह निर्भर करता है कि वायरस से लैस ड्रॉप्लेट्स किस चीज पर मौजूद है. आसान भाषा में समझें तो संक्रमित मरीज के मुंह से निकलने वाली लार की बूंदें जहां पर पड़ती हैं, वहीं से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता है.
जैसे- ड्रॉपलेट स्टील, प्लास्टिक या इससे मिलती-जुलती चीजों पर पड़ती हैं तो वायरस इस पर लम्बे समय तक बना रहता है. इसलिए इनसे बनी चीजों को छूने से बचना चाहिए. रिपोर्ट कहती है, स्टील और प्लास्टिक के मुकाबले कपड़ों और ऐसी मुलायम चीजों पर वायरस कम देर तक टिकता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनावायरस स्टील और प्लास्टिक पर लम्बे समय यानी 3 दिन तक टिका रहता है.
कब तक बना रहता है वायरस?
रिपोर्ट कहती है, वायरस कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन तक किसी जगह पर बने रह सकते हैं. यह निर्भर करता है कि वो किस तरह की चीज पर बना है और किसी स्थिति में है. जैसे- वहां नमीं कम है या ज्यादा. ऐसी जगहों पर पहुंचने से लेकर 24 घंटे तक इनसे संक्रमण का खतरा बना रहता है, इसलिए अपना बचाव करें. खासतौर पर स्कूल, हॉस्पिटल, क्रूज और दूसरे भीड़ वाले पब्लिक प्लेस में. इसलिए ऐसी जगहों पर जाएं को समय-समय पर हाथों को सैनेटाइज करते रहें और मास्क जरूर लगाएं.