वर्तमान में देश में बनने वाली अधिकांश कारों में केवल आगे और पीछे की दो सीटों में थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट होते हैं, जिन्हें वाई-आकार का बेल्ट के रूप में जाना जाता है.

सरकार जल्द ही कार बनाने वाली कंपनियों के लिए कार की सभी सीटों पर केवल थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट प्रदान करना अनिवार्य कर देगी, जिसमें पीछे की सीट के बीच में बैठे यात्री शामिल है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी ने यह जानकारी दी है. वर्तमान में देश में बनने वाली अधिकांश कारों में केवल आगे और पीछे की दो सीटों में थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट होते हैं, जिन्हें वाई-आकार का बेल्ट के रूप में जाना जाता है. हालांकि, इन कारों में पीछे की सीट में केवल टू-प्वाइंट या लैप सीटबेल्ट होती, जैसा कि विमान की सीटों में होता है, जो गोद के ऊपर लगती है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा करीब एक महीने में एक अधिसूचना जारी करने की संभावना है, जिसके बाद जनता से सुझाव मांगे जाएंगे. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, सरकार का इरादा भारत में निर्मित यात्री कारों की सुरक्षा रेटिंग में सुधार करना है. मंत्रालय ने पाया कि कुछ मॉडलों को छोड़कर, भारत में पीछे के बीच में बैठे यात्री के लिए किसी भी वाहन में थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट नहीं होते हैं.
थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट वैज्ञानिक रूप से टू-प्वाइंट बेल्ट की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित साबित हुआ है
1 अक्टूबर से कार में अनिवार्य होगा छह एयरबैग
मंत्रालय के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में सभी यात्री वाहनों के लिए छह एयरबैग अनिवार्य करने के कदम के बाद लोगों के लिए कारों को सुरक्षित बनाने के लिए यह दूसरा कदम होगा. इस समय भारत में कारों की औसत व्हीकल रेटिंग अपेक्षाकृत खराब है और अधिकांश मॉडलों को सुरक्षा मानकों के अनुसार 3-स्टार या उससे कम रेटिंग दी गई है.
परिवहन मंत्रालय ने 14 जनवरी को एक मसौदा अधिसूचना जारी कर छह एयरबैग को अनिवार्य बनाने पर लोगों से राय मांगी थी, जिसे 1 अक्टूबर से लागू किया जाएगा. एक एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 फीसदी से अधिक दुर्घटनाओं में पीछे की सीटबेल्ट न पहनने के कारण यात्रियों को चोटें आई थी.