30 सितंबर 2021 तक स्पेशल इकोनॉमिक जोन ने 6.28 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित किया है और 25 लाख 60 हजार 286 लोगों को रोजगार दिया है.

बजट 2022 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन के नए अध्याय एसईजेड 2.0 की घोषणा की. सीतारमण ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को ध्यान में रखते हुए बहुत जल्द एसईजेड के नियमों में बदलाव किया जाएगा. नए कानून में राज्य सरकारों की भूमिका बढ़ाई जाएगी. कॉमर्स सेक्रेटरी बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने कहा कि इससे मैन्युफैक्चरिंग में सुधार की रफ्तार तेज होगी. केंद्र सरकार अब राज्यों को पार्टनर बनाना चाहती है. मोदी सरकार न्यू डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्राइज एंड सर्विस हब्स देश की दिशा में काम कर रही है जिसे एसईजेड 2.0 के नाम से जाना जाएगा. इससे सिंगल विंडो क्लियरेंस को बल मिलेगा.
अपने देश में एसईजेड कार्य को 2006 में लागू किया गया था. सेज की मदद से सरकार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना चाहती थी. इसके अलावा एक्सपोर्ट को भी प्रमोट करना चाहती थी. निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्पेशल इकोनॉमिक जोन में निवेशकों को टैक्स में कई तरह की छूट मिलती है. सेज के गठन का फायदा साफ-साफ दिख रहा है. 2005-06 में एसईजेड से निर्यात का आंकड़ा 3 अरब डॉलर का था जो पिछले 16 सालों में बढ़कर 83 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. एसईजेड का फायदा घरेलू इंडस्ट्री को भी मिल रहा है.
देश में राज्यों को पार्टनर बनाया जाएगा
यह स्पेशल इकोनॉमिक जोन ही है जिसकी मदद से चीन आज ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बना हुआ है. वहां विदेशी निवेश की भरमार है जिसके कारण सैकड़ों बिलियन का ट्रेड सरप्लस है और दुनियाभर की कंपनियों का वहां मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बना हुआ है. इसी मकसद से भारत में भी एसईजेड को शुरू किया गया था, लेकिन अभी तक आशातीत सफलता नहीं मिल पाई है. वित्त मंत्री की घोषणा के मुताबिक, कानून में बदलाव के तहत राज्यों को डेवलपमेंट ऑफ इंटरप्राइज एंड सर्विस हब देश में पार्टनर बना दिया जाएगा. इसके अलाावा एक्सपोर्ट पर फोकस किया जाएगा. साथ ही सभी इंडस्ट्रीज को इसमें व्यापार का मौका मिलेगा.
एक्सपोर्ट इनकम पर 100 फीसदी टैक्स राहत
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार ने जब से स्पेशल इकोनॉमिक जोन के लिए मिनिमम अल्टरनेटव टैक्स की घोषणा की सेज की लोकप्रियता कम हो गई. इसके अलावा टैक्स इंसेंटिव क्लाउज को भी वापस ले लिया गया है. वर्तमान में एसईजेड यूनिट को शुरुआत के पांच सालों में एक्सपोर्ट इनकम पर 100 फीसदी टैक्स राहत मिलती है. अगले पांच सालों तक एक्सपोर्ट से इनकम पर टैक्स में 50 फीसदी राहत मिलती है.
देश में अभी 268 देश में राज्यों को पार्टनर बनाया जाएगा
यह स्पेशल इकोनॉमिक जोन ही है जिसकी मदद से चीन आज ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बना हुआ है. वहां विदेशी निवेश की भरमार है जिसके कारण सैकड़ों बिलियन का ट्रेड सरप्लस है और दुनियाभर की कंपनियों का वहां मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बना हुआ है. इसी मकसद से भारत में भी एसईजेड को शुरू किया गया था, लेकिन अभी तक आशातीत सफलता नहीं मिल पाई है. वित्त मंत्री की घोषणा के मुताबिक, कानून में बदलाव के तहत राज्यों को डेवलपमेंट ऑफ इंटरप्राइज एंड सर्विस हब देश में पार्टनर बना दिया जाएगा. इसके अलाावा एक्सपोर्ट पर फोकस किया जाएगा. साथ ही सभी इंडस्ट्रीज को इसमें व्यापार का मौका मिलेगा.
एक्सपोर्ट इनकम पर 100 फीसदी टैक्स राहत
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार ने जब से स्पेशल इकोनॉमिक जोन के लिए मिनिमम अल्टरनेटव टैक्स की घोषणा की सेज की लोकप्रियता कम हो गई. इसके अलावा टैक्स इंसेंटिव क्लाउज को भी वापस ले लिया गया है. वर्तमान में एसईजेड यूनिट को शुरुआत के पांच सालों में एक्सपोर्ट इनकम पर 100 फीसदी टैक्स राहत मिलती है. अगले पांच सालों तक एक्सपोर्ट से इनकम पर टैक्स में 50 फीसदी राहत मिलती है.
देश में अभी 268 एसईजेड ऑपरेशनल है
वर्तमान में देश में 425 स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाए गए हैं. इनमें से 268 ऑपरेशनल हैं. बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा था कि 30 सितंबर 2022 तक एसईजेड 2.0 को लागू कर दिया जाएगा. मैन्युफैक्चरिंग में सुधार लाने के लिए अप्रैल 2020 में पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई थी. वर्तमान में 13 सेक्टर इस स्कीम के दायरे में है. निर्यात में तेजी लाने के लिए बजट में 350 कस्टम ड्यूटी छूट को वापस लिया गया. जानकारों का मानना है कि इन उपायों का असर होगा.
चालू वित्त वर्ष में निर्यात में 25 फीसदी का उछाल
30 सितंबर 2021 तक स्पेशल इकोनॉमिक जोन ने 6.28 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित किया है और 25 लाख 60 हजार 286 लोगों को रोजगार दिया है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर के बीच नौ महीने में सेज से निर्यात में 25 फीसदी का उछाल आया है और यह आंकड़ा 6.89 लाख करोड़ रुपए करीब 93 बिलियन डॉलर का रहा है. वित्त वर्ष 2020-21 में स्पेशल इकोनॉमक जोन से निर्यात का कुल आंकड़ा 102.32 बिलियन डॉलर रहा था.