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जानिए क्या खास है पृथ्वी के नए खोजे गए ट्रोजन क्षुद्रग्रह में !

पृथ्वी की कक्षा में वैज्ञानिकों ने दूसरे ट्रोजन क्षुद्रग्रह के होने की पुष्टि की है जिससे दो साल पहले ही खोजा गया है. इस ट्रोजन क्षुद्रग्रह को 2020XL5 नाम दिया गया है जिसे साल 2020 में खोजा गया था. यह हमारे सूर्य का चक्कर पृथ्वी से की कक्षा में उसी से आगे रह कर लगा रहा है. इसके अलावा अभी पृथ्वी का एक और ट्रोजन क्षुद्रग्रह है जिसे साल 2010 में खोजा गया था.

माना जाता है कि अभी तक हमारे वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड का केवल 5 प्रतिशत हिस्सा ही देख पाए हैं. फिर भी इस 5 प्रतिशतहिस्से में बहुत से रहस्यमयी पिंड हैं जिनकी खोज होती रहती है. लेकिन हाल ही में पृथ्वी के पास एक नया पिंड खोजा गया है जिसके बारे में अब तक पता नहीं चल सका था. यह नया ट्रोजन क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा में मौजूद है जिसकी मौजूदगी की पुष्टि हाल ही में की गई है. यह पृथ्वी का दूसरा ट्रोजन है.

क्य होते हैं क्षुद्रग्रह
एक ट्रोजन क्षुद्रग्रह वह क्षुद्रग्रह होता है जो आम क्षुद्रग्रह के विपरीत सूर्य का चक्कर किसी ग्रह की कक्षा में रह कर लगाता है. इस तरह से वे ग्रह के पड़ोसी हो जाते हैं. आम तौरपर क्षुद्रग्रह मंगल ग्रह और गुरु ग्रह के बीच रहकर लाखों करोड़ों की संख्या में सूर्य की चक्कर लगाते हैं उनकी कक्षा को क्षुद्रग्रह पट्टी कहा जाता है. फिलहाल गुरु ग्रह के सबसे ज्यादा ट्रोजन क्षुद्रग्रह हैं.

चिली के टेसीस्कोप ने खोजा
इस ट्रोजन क्षुद्रग्रह की खोज चिली के सेरो पाचोन स्थिति साउदर्न एस्ट्रोफिजिकल रिसर्च टेसीस्कोप के जरिए हुई  है. इस क्षद्रग्रह की चौड़ाई एक किलोमीटर है. अवलोकनोंने इस बात की पुष्टि की है कि यह पृथ्वी का दूसरा ट्रोजन है. ट्रोजन क्षुद्रग्रह सामान्यतः बहुत ही कम संख्या में पाए जाते हैं.

सबसे बड़ा ट्रोजन क्षुद्रग्रह
यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना के इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्मोससाइंस और यूनिवर्सिटी ऑफ एलिकांटेके टोनी सैनटैना रोस ने 2020 XL5 का अवलोकन किया है. उनका कहना है कि यह अब तक का खोज गया सबसे बड़ा ट्रोजन क्षुद्रग्रह है. इस खोज की विस्तृत जानकारी नेचर कम्यूनिकेशन जर्नल में प्रकाशित हुई है.

खास बिंदु पर होते हैं ट्रोजन
खगोलविदों का कहना है हमारे सौरमंडल के कई ग्रहों के ट्रोजन क्षुद्रग्रह हैं लेकिन 2020 XL5 पृथ्वी के पास पाया गया दूसरा ट्रोजन क्षुद्रग्रह ही है. ट्रोजन ग्रह की कक्षा के खास बिंदु पर पाए जाते हैं जिन्हें लैगरेंज बिंदु कहते हैं. यह बिंदु ऐसे स्थान होते हैं जहां सूर्य और पृथ्वी का संयुक्त प्रभाव एक दूसरे को खारिज कर देता है.

क्या है दोनों ट्रोजन में अंतर
खगोलविदों ने  पहले ट्रोजन क्षुद्रग्रह को हवाई के पैन-STARRS1 सर्वे टेलीस्कोप की मदद से खोजा था. इसे 2010 TK7 नाम दिया गया है. लेकिन 2020 XL5 इससे कहीं बड़ा है. 2020 XL5 का व्यास 1.2 किलोमीटर है जो 2010 TK7 से तीन गुना ज्यादा चौड़ा है. 2010 TK7  की चौड़ाई मात्र 400 मीटर ही पाई गई है. जब इसे पहले देखा गया था तब खगोलविदों को लगा था कि यह उन क्षुद्रग्रहों की तरह  होगा जो पृथ्वी के पास से गुजरते हैं.

कब तक रहेगा अपने स्थान पर
शोधकर्ता इस क्षुद्रग्रह के आसपास का अवलोकन पिछले एक दशक के आंकड़ों से  कर रहे थे जिसके बाद उन्हे क्षुद्रग्रह और उसकी कक्षा के बारे में स्पष्ट जानकारी मिल सकी. अब उन्होंने पता लगा है कि नया खोजा गया बड़ा ट्रोजन हमारे ग्रह के पास हमेशा नहीं रहेगा बल्कि कम से कम 4 हजार सालों तक अपने स्थिति में कायम रहेगा.

2020 XL5 के अध्ययन से पता चला है कि यह सी प्रकार का क्षुद्रग्रह है जो एक किलोमीटर से बड़ा है. सी प्रकार के क्षुद्रग्रह काले होते हैं, उनमें बहुत सारा कार्बन होता है और सौरमंडल सबसे ज्यादा पाए जाने वाले क्षुद्रग्रह होते हैं. शोधकर्ताओं का उम्मीद है कि पृथ्वी के और भी ट्रोजन क्षुद्रग्रह होंगे जो अभी तक खोजे नहीं जा सके हैं.

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Pooja Pandey

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