लखीमपुर खीरी जिले में अब बहुजन समाज पार्टी की 8 सीटों में से 4 पर मुस्लिम प्रत्याशी हैं. वहीं, निघासन के अलावा बसपा ने कस्ता सुरक्षित सीट से भी प्रत्याशी बदल दिया है. जहां कस्ता में अब सरिता वर्मा की जगह हेमवती राज बसपा की उम्मीदवार हैं.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में लड़ाई रोचक होती जा रही है. जहां लखीमपुर खीरीजिले में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता औऱ सपा सरकार में मंत्री रहे आरए उस्मानी टिकट न मिलने से बागी हो गए. ऐसे में नाराज उस्मानी ने बसपा के दरवाजे पर दस्तक दी. तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने उस्मानी को निघासन से टिकट देकर न सिर्फ उस्मानी को ईनाम दिया. बल्कि एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश मायावती ने की है. जहां एक तरफ बसपा सपा के आंगन से एक कद्दावर नेता ले आई. वहीं जिले के मुस्लिम मतदाताओं को भी अपने पाले में करने की कोशिश की है.
दरअसल, लखीमपुर खीरी जिले में अब बहुजन समाज पार्टी की 8 सीटों में से 4 पर मुस्लिम प्रत्याशी हैं. वहीं, निघासन के अलावा बसपा ने कस्ता सुरक्षित सीट से भी प्रत्याशी बदल दिया है. जहां कस्ता में अब सरिता वर्मा की जगह हेमवती राज बसपा की उम्मीदवार हैं. हालांकि निघासन में पहले मनमोहन मौर्या को प्रत्याशी बनाया था. लेकिन जब सपा ने निघासन से आरएस कुशवाहा को टिकट दिया तो बसपा ने मनमोहन को वहां से टिकट काट दिया. निघासन से विधायक रहे पूर्व मंत्री आरए उस्मानी इस बार के चुनाव में सपा से टिकट चाहते थे. लेकिन उस्मानी को सपा ने टिकट नहीं दिया. तब से वे नाराज चल रहे थे. इस बीच उस्मानी ने बीएसपी में जुगाड़ बना लिया. बसपा ने निघासन में पूर्व घोषित प्रत्याशी मनमोहन मौर्या का टिकट काटकर उस्मानी को टिकट दे दिया.
कस्ता में सरिता वर्मा की जगह होंगी अब हेमवती राज बसपा की उम्मीदवार
वहीं, बहुजन समाज पार्टी ने जिले के मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में करने की यह मजबूत कोशिश की है. ऐसे में सपा ने जिले की आठ सीटों पर सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है. मगर बसपा ने 8 में से 4 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका दिया है. हालांकि जिले की राजनीति को करीब से समझने वाले जानकर कहते हैं कि बसपा के इस दांव का बड़ा खामियाजा समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ेगा. चूंकि निघासन सहित जिले की 8 सीटों पर बसपा के 50-50 फार्मूले का असर होगा. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने सोमवार को कस्ता सुरक्षित सीट पर भी प्रत्याशी बदल दिया है. फिलहाल अब कस्ता में सरिता वर्मा की जगह हेमवती राज बसपा की प्रत्याशी होंगी.
बाबरी विवाद 1996 के बाद जिले की सियासत में बदले समीकरण
बता दें कि रामजन्म भूमि और बाबरी विवाद के बाद प्रदेश की सियासत में 1996 तक सियासी समीकरण बदलने लगे थे, जिसका फायदा सपा ने उठाया 1996 में लखीमपुर सीट पर पहली बार कब्जा किया और कौशल किशोर विधायक बने जीत का सिलसिला 2002 और 2007 में चला और कौशल किशोर सपा से विधायक बने रहे, लेकिन कौशल किशोर के निधन के बाद 2010 के उपचुनाव में सपा ने उत्कर्ष वर्मा पर भरोसा किया और टिकट दिया वहीं जनता ने भी सपा के भरोसे पर भरोसा करते हुए उप चुनाव में तो जिताया ही, 2012 में उत्कर्ष को दोबारा विधायक बना दिया. वहीं, साल 2017 में उत्कर्ष को सपा ने फिर मैदान में उतारा लेकिन वो बीजेपी के योगेश वर्मा से हार गए.