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जानें बसंत पंचमी पर क्यों की जाती है माता सरस्वती की पूजा !

इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 5 फरवरी को शनिवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन विधि विधान के साथ माता सरस्वती की पूजा की जाती है.

हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का अपना महत्व है. प्रत्येक व्रत में भगवान की पूजा की जाती है और घर के कल्याण के लिए सभी अनुष्ठानों के साथ देवता की पूजा की जाती है. ऐसा ही एक व्रत पर्व है बसंत पंचमी. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. हर साल माघ मास में बसंत पंचमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. ये पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. वसंत ऋतु को सभी छह ऋतुओं में ऋतुराज के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी को माता सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है. आइए जानें बसंत पंचमी का महत्व.

बसंत पंचमी तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल बसंत पंचमी का पर्व 05 फरवरी 2022 शनिवार को मनाया जाएगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. ऐसे में पंचमी तिथि शुरूआत 05 फरवरी, शनिवार, सुबह 03:48 बजे से होगी. पंचमी तिथि 06 फरवरी रविवार को सुबह 03:46 बजे समाप्त होगी. उदय तिथि में पंचमी तिथि 05 फरवरी को पड़ रही है, इसलिए इस दिन बसंत पंचमी मनाई जाएगी.

बसंत पंचमी पर क्यों की जाती है माता सरस्वती की पूजा?

बसंत पंचमी के पर्व पर मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है.

माता सरस्वती के जन्म की कथा के अनुसार सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु के आदेश पर मनुष्य की रचना की थी. हालांकि ब्रह्मा जी अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे और सारा वातावरण उदासी से खामोश था.

इससे ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का और जैसे ही वे जल कण गिरे देवी पेड़ों से एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुईं. उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे में एक किताब थी. तीसरे हाथ में माला थी और चौथे हाथ में वरद मुद्रा थी. ये थीं देवी सरस्वती.

जब मां सरस्वती ने वीणा बजाया तो दुनिया की हर चीज को एक आवाज मिली. इसलिए इन्हें देवी सरस्वती के रूप में नामित किया गया था. क्योंकि ये बसंत पंचमी का दिन था तभी से लोग देव लोक और मृत्यु लोक में देवी सरस्वती की पूजा करने लगे.

बसंत पंचमी का महत्व

ऐसा माना जाता है कि इसी दिन वेदों की देवी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन को शिक्षा या कोई अन्य नई कला शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन विद्यार्थी अगर मां सरस्वती की पूजा करें तो लाभ होता है.

एक अन्य धार्मिक मान्यता ये भी है कि इस दिन कामदेव की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि अगर पति-पत्नी भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करते हैं तो वे एक सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करते हैं.

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Pooja Pandey

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