आईसीएआई के अध्यक्ष निहार एन. जंबूसरिया ने कहा कि उनकी ओर से केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड को विचार के लिए लगभग 14 सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं.

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने आगामी आम बजट में टैक्स और अकाउंटिंग संबंधी 14 सुधारों की मांग की है. आईसीएआई के अध्यक्ष निहार एन. जंबूसरिया ने शनिवार को कहा कि ये सुझाव कानून को सरल, निष्पक्ष, पारदर्शी और उपभोक्ता के अनुकूल बनाने के लिए हैं. उन्होंने, ‘‘हमारी ओर से 14 सुझाव हैं जो केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा-शुल्क बोर्ड को विचार के लिए भेजे गए हैं.’’ चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्था की तरफ से भेजे गए सुझावों में व्यापार में हुए नुकसान को बीते वर्ष के कर रिटर्न में शामिल करने और इसके आवेदन के लिए उपयुक्त विधायी संशोधन पेश करना भी शामिल हैं. यह आतिथ्य, यात्री परिवहन और कुछ अन्य क्षेत्रों के लिए प्रासंगिक है.
स्लम्प रेट पर डेप्रिसिएशन के संबंध में संशोधन का सुझाव
सीए के छात्रों के लिए आयोजित किए गए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद उन्होंने कहा, “हमारी ओर से लगभग 14 सुझाव केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड को विचार के लिए प्रस्तुत किए गए हैं.” स्लम्प रेट पर डेप्रिसिएशन के संबंध में आईसीएआई ने कानूनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए आयकर अधिनियम के एक प्रावधान में संशोधन का सुझाव दिया कि क्या ट्रांसफरर और ट्रांसफरी कंपनी द्वारा आनुपातिक दिनों के आधार पर डेप्रिसिएशन का दावा किया जा सकता है.
अधिनियम की धारा 12 को स्पष्ट करने के लिए संशोधन का सुझाव
आईसीएआई ने यह भी प्रस्ताव भेजा है किया कि अधिनियम की धारा 12 को स्पष्ट करने के लिए संशोधित किया जाना चाहिए कि अपनी इच्छानुसार योगदान में एक प्रकार का योगदान शामिल होगा और किसी ट्रस्ट या संस्थान द्वारा प्राप्त संपत्ति का मूल्य इस तरह के योगदान की प्राप्ति की तारीख के अनुसार उचित बाजार मूल्य होगा. आईसीएआई ने सुझाव दिया है कि डीमर्जर की परिभाषा में स्पिन-ऑफ के रूप में कॉर्पोरेट विनिवेश शामिल होना चाहिए, जिसके तहत एक मूल कंपनी अपने शेयरधारकों को एक सहायक कंपनी में अपनी हिस्सेदारी ट्रांसफर करती है.
1 फरवरी को पेश किया जाएगा देश का बजट 2022-23
बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार, 1 फरवरी को संसद में देश का बजट पेश करेंगी. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए जाने वाले इस बजट पर पूरे देश की निगाहें हैं. देश का अलग-अलग सेक्टर अपने क्षेत्र में बेहतरी और राहत पाने के लिए सरकार से काफी उम्मीदें लगाए बैठा है. खैर, ये तो 1 फरवरी को बजट पेश होने के बाद ही मालूम चलेगा कि देश के किस सेक्टर को कितनी राहत मिली है और किस सेक्टर की मुसीबतें जस की तस बनी रहेगी.