आंगनवाड़ी महिलाओं का आरोप है दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पंजाब जाकर आंगनवाड़ी महिलाओं को लेकर झूठ बोल रहे हैं. जबकि, 2017 के बाद से अभी तक दिल्ली सरकार ने आंगनवाड़ी महिलाओं का एक पैसा नहीं बढ़ाया है.

देश की राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाद आंगनवाड़ी महिलाएं अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई हैं. अपनी सैलरी बढ़ाये जाने और लंबे वक्त से रुके हुए बकाए को लेकर हजारों आंगनवाड़ी महिलाएं मुख्यमंत्री आवास के बाहर बैठी हैं. दिल्ली में इस समय लगभग 22 हजार आंगनवाड़ी महिलाएं हैं.
आंगनबाड़ी महिलाओं की मानें तो दिल्ली में आंगनवाड़ी वर्कर को 9600/- रुपये और हेल्पर को 5000/- रुपये वेतन प्रति महीना मिलता है, और वह भी पिछले कई महीनों से उनको नहीं मिला है. महिलाओं का आरोप है दिल्ली के मुख्यमंत्री पंजाब जाकर आंगनवाड़ी महिलाओं को लेकर झूठ बोल रहे हैं. 2017 के बाद से अभी तक एक पैसा दिल्ली सरकार ने आंगनवाड़ी महिलाओं का नहीं बढ़ाया है और पंजाब उत्तराखंड में आंगनवाड़ी महिलाओं को लेकर वादे कर रहे हैं.
कोरोना के दौरान ये महिलाएं घर-घर जाकर लोगों को राशन दे रही थीं, प्राइमरी एजुकेशन दे रही है, लेकिन फिर भी उनकी कोई सुनवाई नहीं है. इसलिए महिलाएं अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई हैं. बता दें कि इससे पहले 2017 में आंगनवाड़ी महिलाओं ने वेतनवृद्धि के लिए धरना दिया था जिसके बाद हेल्पर का वेतन 2500/- से बढ़कर 5000/- और आंगनवाड़ी वर्कर का वेतन 4500/- से बढ़कर 9600/- किया गया था.
प्रदर्शनकारियों ने नई शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए और तख्तियां प्रदर्शित कीं। उन्होंने यह भी मांग की कि उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। पुलिस ने उन्हें सीएम आवास से कुछ मीटर की दूरी पर रोक दिया जिसके बाद वे धरने पर बैठ गए और अपना विरोध जारी रखा। प्रदर्शनकारियों के हाथ में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘कर्मचारी का दरजा हमारा अधिकार’।