कोरोनाकाल में भी रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर के अहम योगदान की वजह से ही पूरे देश में सामानों की सप्लाई सामान्य रही. अब सरकार को इस सेक्टर और इससे जुड़े एक करोड़ रोजगार की चिंता करनी चाहिए.

बजट 2022: रोड ट्रांसपोर्ट सप्लाई चेन की महत्वपूर्ण कड़ी है. कोरोनाकाल में भी रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर के इस अहम योगदान की वजह से ही पूरे देश में सामानों की सप्लाई सामान्य रही. अब सरकार को इस सेक्टर और इससे जुड़े एक करोड़ रोजगार की चिंता करनी चाहिए. परिवहन क्षेत्र को स्पेशल स्टेटस का दर्जा दिया जाना चाहिए. हम उम्मीद करते हैं सालों से लंबित मांगों को जो कि सरकार ने विभिन्न स्तर पर मान लिया गया था उसे बजट में पारित करेगी.
सड़क परिवहन क्षेत्र से टीडीएस का खत्म किया जाना चाहिए
जीएसटी के आने के बाद अधिनियम 194 सी के तहत टीडीएस बेमानी और अव्यवहारिक है. छोटे ऑपरेटरों से लाखों बेहिसाब टीडीएस के नाम पर कटौती होती हैं, जो न तो सरकारी खजाने से जमा होती हैं और न ही रिफंड का दावा किया जाता है. जिनकी कटौती की जाती है, उन्हें रिटर्न का दावा करने में 3 साल लगते हैं. एपीएमसी और रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर का संचालन नकदी पर आधारित है. कृषि उपज विपणन कंपनियों (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी) की तरह, रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर को भी एक करोड़ रुपए से अधिक की वार्षिक नकद निकासी पर 2% टीडीएस से छूट दी जानी चाहिए.
आईटी एक्ट की धारा 44 AE के तहत अनुमानित आयकर का युक्तिकरण करना
इसके तहत लगाया गया अनुमानित आयकर अव्यावहारिक, त्रुटिपूर्ण और तर्कहीन है. यह सकल वाहन भार पर आधारित है जबकि इसको वाहन के लोड क्षमता पर होना चाहिए. अनुमानित आय तर्कसंगत नहीं है, जहां वाहनों की विभिन्न क्षमता के लिए इसे 100% से 633% तक बढ़ाया गया है. यह जमीनी हकीकत के अनुसार नहीं है. गुड्स कैरीइंग व्हीकल्स और पैसेंजर कमर्शियल व्हीकल्स पर थर्ड पार्टी प्रीमियम पर जीएसटी को शून्य करना चाहिए.