आज के समय में अधिकतर बीमारियां खानपान की वजह से होती हैं. अगर हम हेल्दी फूड लें और इसे लेते समय आयुर्वेद के नियमों का पालन करें, तो कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं.

आयुर्वेद के अनुसार हमें हमेशा संतुलित आहार लेना चाहिए और शरीर की प्रकृति के हिसाब से भोजन करना चाहिए. आयुर्वेद में खाने में छह तरीके के स्वाद बताए गए हैं मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा और कसैला. व्यक्ति को अपने शरीर की प्रकृति के बारे में किसी विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद अपने लिए डाइट चार्ट तैयार करवाना चाहिए.सब्जियों को पकाते समय ये याद रखना चाहिए कि वे न तो बहुत पकी हों और न बहुत कच्ची. मीठे में चीनी के स्थान पर शहद या गुड़, मैदे की जगह चोकरयुक्त आटा इस्तेमाल करना चाहिए.
अदरक का एक छोटा-सा टुकड़ा तवे पर गर्म करें और काला नमक लगाएं. इसके बाद इसे खाने से पांच मिनट पहले खाएं. इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है और भूख भी अच्छे से लगती है. साथ ही खाना आलथी पालथी मारकर खाना चाहिए.आयुर्वेद में बताया गया है कि खाना हमेशा भूख का आधा खाना चाहिए, ताकि वो अच्छी तरह से पच जाए. इसके अलावा खाना हमेशा ताजा खाएं और अच्छी तरह से चबाकर खाएं. खाते समय बातचीत नहीं करनी चाहिए.खाने के बीच में पानी नहीं पीना चाहिए, लेकिन अगर आप खाना खाने से आधा घंटा पहले और खाना खाने के आधा घंटे बाद पानी पीते हैं, तो ये आपके लिए काफी फायदेमंद होता है. खाने के बीच में जरूरत हो तो एक-दो घूंट पानी पीकर काम चलाएं. इसके अलावा पानी सामान्य टेंप्रेचर वाला या गुनगुना पीना चाहिए. फ्रिज का ठंडा पानी न पीएं. साथ ही घूंट-घूंट पानी पीना अमृत के समान बताया गया है.