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सत्ता वापसी की राह में कांग्रेस के सामने कई परेशानियां, इन चुनौतियों से कैसे निपटेंगी प्रियंका गांधी ?

यूपी में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल करने वाले 7 में से 4 विधायक भी पार्टी छोड़ चुके हैं. इनमें से तीन बीजेपी और एक सपा में शामिल हो गए.

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पूरा दम लगा रही है, लेकिन फिर भी प्रियंका गांधी के सामने 7 बड़े मश्किलें हैं, जिसने पार पाना पार्टी के लिए काफी जरूरी है. विधानसभा चुनाव के लिए सभी अहम दल दूसरे दलों के साथ गठंबंधन में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस का किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं हो सका है. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि पार्टी 1989 से यूपी की सत्ता से बाहर है. संगठन का खस्ताहाल फिर से दुरुस्त करने के लिए पार्टी को अकेले ही लड़ने की जरूरत है. कांग्रेस का कहना है कि इसका फायदा उन्हें 2024 चुनाव में सीधे तौर पर मिलेगा.

प्रियंका गांधी ने यूपी में बड़े ही जोर शोर से ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ कैंपेन की शरुआत की थी. इस कैंपेन की पोस्टर गर्ल प्रियंका मौर्य ने टिकट न मिलने की वजह से बीजेपी जॉइन कर ली है.हालांकि पार्टी ने अपनी स्थिति सुधारने के लिए उन्नाव रेप पीड़िता की मां समेत कई सामाजिक आंदोलनों में हिस्सा लेने वालों को भी टिकट देकर कुछ अलग दिखाने की कोशिश की है. सियासी जानकारों का कहना है कि यूपी की जमीनी हकीकत कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी और सपा की सीधी टक्कर है. दोनों के बीच अपनी जगह बना पाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.

प्रियंका गांधी के सामने बड़ी चुनौतियां

प्रियंका गांधी के यूपी कांग्रेस महासचिव बनने के बाद भी राज्य के कई अहम नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जितिन प्रसाद से लेकर राजाराम पाल, प्रियंका की सलाहकार समिति के सदस्य विनोद शर्मा, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, उनके पूर्व विधायक बेटे पंकज मलिक, पूर्व सांसद सलीम शेरवानी, पूर्व सांसद चौधरी बिरेंदर सिंह, इमरान मसूद समेत तमाम नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं. वहीं कमलापति त्रिपाठी के परिवार के ललितेशपति त्रिपाठी ने तो टीएमसी का दामन थाम लिया. खबर के मुताबिक इन नेताओं का टिकट फाइनल होने के बाद भी इन्होंने कांग्रेस का हाथ बीच मजधार में छोड़ दिया.

यूपी में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल करने वाले 7 में से 4 विधायक भी पार्टी छोड़ चुके हैं. इनमें से तीन बीजेपी और एक सपा में शामिल हो गए. खुद सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह को बीजेपी का साथ कांग्रेस से ज्यादा भा गया. वहीं पश्चिमी यूपी से नरेश सैनी भी बीजेपी में शामिल हो गए. वहीं चौथे विधायक मसूद अख्तर सपा में शामिल हो चुके हैं. अंदाया लगाया जा रहा है कि शायद प्रियंका गांधी को इन नेताओं के पार्टी छोड़ने की भनकी थी, इसी वजह से केंद्रीय चुनाव समिति से नाम फाइनल होने के बाद भी लिस्ट जारी करने में देरी की गई.

कांग्रेस के बड़े नेताओं ने छोड़ी पार्टी

कांग्रेस की दो लिस्ट सामने आने के बाद पार्टी के तीन उम्मीदवार दूसरी पार्टियों में चले गए. पहले यूसुफ अली, फिर रामपुर की पूर्व सांसद बेगम नूर बानो के पोते हैदर अली और अब बरेली के पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन अपनी पत्नी सुप्रिया ऐरन के साथ सपा में शामिल हो गए हैं. सुप्रिया को कांग्रेस ने बरेली से उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, यूसुफ अली कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद सपा में शामिल हो गए. जब सपा ने उनको टिकट नहीं दिया तो उन्होंने प्रियंका गांधी को माफीनामा लिख दिया.

यही वजह है कि प्रियंका गांधी और उनकी टीम आगे की लिस्ट जारी करने में फूंक फूंक कर कदम रख रही है. कांग्रेस तुरंत लिस्ट जारी करने की बजाय इंतज़ार कर रही है. यूपी में अब तक कांग्रेस ने 125 और 41 उम्मीदवारों की दो लिस्ट जारी की हैं, मतलब 403 में से 166 टिकटों की वो घोषणा कांग्रेस कर चुकी है. यूपी में कांग्रेस पार्टी की जमीनी स्थिति से खुद प्रियंका गांधी भी अनजान नहीं हैं. यही वजह है कि उन्होंने रणनीति के तहत यहां तक कह दिया है कि चुनाव के बाद कांग्रेस बीजेपी को छोड़कर किसी भी पार्टी का समर्थन कर सकती हैं.

40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने पर सवाल

इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस चाहती है कि यूपी में अगली सरकार में उसकी हिस्सेदारी जरूर हो. प्रियंका के बयान से एक बात तो साफ है कि कांग्रेस अच्छी तरह से जानती है कि वह यूपी में अकेले सरकार नहीं बना सकती. प्रियंका गांधी ने यूपी में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का वादा किया था, जिसे वह निभाती दिख रही हैं. लेकिन सवाल ये है कि दूसरे राज्यों में कांग्रेस को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

सवाल ये है कि यूपी में मजबूती न होने पर भी प्रियंका ने 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का वादा कर दिया. जब कि पंजाब में अब तक 86 में सिर्फ 9, उत्तराखंड में 53 में 3 और गोवा में 28 में से 2 महिलाओं को ही टिकट दिया गया है. मज़बूत राज्यों में 10 फीसद से भी कम टिकट महिलाओं को क्यों दिए गए. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का कहना है कि महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देना खोकली बात नहीं है. ये एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी ने एक सकारात्मक शुरुआत की है. इसे राहुल गांधी ने भी सराहा है.

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Pooja Pandey

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