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भारत बायोटेक की नैजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के ट्रायल के लिए मिली मंजूरी

देश में 9 स्थानों पर इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल होगा. यह टीका पहला नेजल टीका है जिसे तीसरे चरण के परीक्षण के लिए मंजूरी मिली है. यह टीका BBV154 है जिसकी प्रौद्योगिकी भारत बायोटेक ने सेंट लुईस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी. अभी तक हुए अध्ययनों में टीका सुरक्षित पाया गया है

देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण काफी तेजी से चल रहा है. इस बीच भारत बायोटेक की नाक के जरिए दिए जाने वाली नैजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के लिए तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए मंजूरी मिल गई है. ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया ने इसपर मुहर लगा दी है. दिसंबर में ही भारत बायोटेक ने कोविड रोधी टीके की बूस्टर खुराक के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए आवेदन किया था.

भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के मुताबिक, देश में 9 स्थानों पर इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल होगा. यह टीका पहला नेजल टीका है जिसे तीसरे चरण के परीक्षण के लिए  मंजूरी मिली है. टीका BBV154 है जिसकी प्रौद्योगिकी भारत बायोटेक ने सेंट लुईस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी. आवेदन के समय भारत बायोटेक ने अपनी नैजल वैक्सीन को पहले से टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों में बूस्टर डोज के तौर पर उपयोग करने का प्रस्ताव दिया था. भारत बायोटेक का कहना है कि इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल ढाई हजार ऐसे लोगों पर होगा, जिन्होंने कोविशील्ड और ढाई हजार ऐसे लोगों पर होगा जिन्होंने कोवैक्सीन ली है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के बीच यह टीका फायदेमंद साबित हो सकता है. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नाक से दिया जाने वाला टीका ओमिक्रॉन वैरिएंट से सुरक्षा दे सकता है.

क्या है नैजल वैक्सीन?

नैजल वैक्सीन नाक से दी जाने वाली वैक्सीन है. व्यक्ति की नाक में वैक्सीन की कुछ बूंदे डालकर उसका टीकाकरण किया जाता है. इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है और न ही पोलियो की खुराक की तरह यह वैक्सीन पिलाई जाती है. यह एक प्रकार से नेजल स्प्रे जैसी होती है. इस वैक्सीन का लक्ष्य नाक के जरिए डोज को सांस के रास्ते तक पहुंचाना है. डॉक्टरों के मुताबिक, कोई भी वायरस सबसे पहले हमारे शरीर में नाक के जरिए जाता है. कोरोना के भी हमारे शरीर में पहुंचने का सबसे अहम रास्ता नाक ही है.  ऐसे में ये वैक्सीन कोरोना को फेफड़ों या शरीर के अन्य हिस्सों में जाने से रोक सकती है.

अध्ययनों में  टीका सुरक्षित पाया गया था

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने इस साल अगस्त में बताया था कि 18 साल से 60 साल के आयु वर्ग के समूह में पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है. डीबीटी ने कहा था कि  पहले चरण के परीक्षण में शामिल हुए लोगों पर वैक्सीन की काफी अच्छी प्रतिक्रिया देखी गई थी. किसी में भी टीके के बाद कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव सामने नहीं आया था.  पशुओं पर हुए अध्ययन में टीका एंटीबॉडी का उच्च स्तर बनाने में सफल रहा था.

बच्चों में भी बताया था सुरक्षित

भारत बायोटेक ने कहा था कि उसकी  नेजल वैक्सीन ने यह साबित किया है कि यह बच्चों के लिए भी सुरक्षित है. दूसरे और पहले चरण के ट्रायल के आधार पर भारत बायोटेक ने कहा था कि  2-18 आयुवर्ग के स्वस्थ बच्चों और किशोरों में कोवैक्सीन की इम्युनोजेनेसिटी का मूल्यांकन करा था. जिसके बाद यह दावा किया गया था कि नैजल वैक्सीन बच्चों के लिए भी सुरक्षित है.

अन्य टीकों से हो सकती है अलग

एम्स नई दिल्ली के क्रिटिकल केयर विभाग के डॉक्टर युद्धवीर सिंह का कहना है कि यह वैक्सीन अब तक आए टीकों से कुछ अलग हो सकती है. इस वैक्सीन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इसे लगाने के लिए ज्यादा समय नहीं लगेगा. इसको रखने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होगी. डॉ. का कहना है कि देश में इस समय ओमिक्रॉन वैरिएंट है. ऐसा भी हो सकता है कि आने वाले समय में कोई और वैरिएंट आए. ऐसे में इस प्रकार की वैक्सीन से लोगों को काफी फायदा मिल सकता है.

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Pooja Pandey

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