इन चीज़ो को घर के मंदिर में रखने से माँ लक्ष्मी हो जाती है प्रसन्न वास्तु शास्त्र में सभी चीजों को रखने की विशेष जगह और उसका महत्व बताया गया है। शास्त्र के अनुसार हर चीज में ऊर्जा मौजूद होती है, जो व्यक्ति पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के प्रभाव डालती है। अगर घर में वास्तुदोष हैं, तो आपके बनते-बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं।

वास्तु मंदिर
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में मंदिर बनवाने की सबसे शुभ दिशा पूर्व मानी जाती है। अगर संभव न हो तो उत्तर दिशा में भी मंदिर बनवा सकते हैं, परंतु दक्षिण दिशा में मंदिर कभी भी नहीं बनवाने चाहिए।
वास्तु के अनुसार उत्तर या पूर्व दिशा में बैठकर पूजा करना सबसे ज्यादा लाभकारी होता है। इससे मन को शांति मिलती है और आपका ध्यान पूजा में आसानी से लगता है। व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
घर में मंदिर को कभी सीढ़ियों के नीचे नहीं बनवाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आने लगती हैं और घर की आर्थिक तरक्की भी रुक जाती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के मंदिर या पूजा घर का रंग सफेद या क्रीम कलर का होना शुभ होता है।
यह सामग्री अपने मंदिर में ज़रूर रखे

शंख
शंख को नियमित तौर पर बजाने से घर के साथ-साथ आस-पास के इलाके में भी सकारात्मकता आती है। ऐसे में घर में शंख जरूर रखना चाहिए। इससे घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।

गंगाजल
हिंदू धर्म में गंगाजल का विशेष महत्व है। गंगा जी का जल कभी खराब नहीं होता और यह बेहद ही पवित्र होता है। ऐसे में घर में बनें मंदिर में गंगाजल जरूर रखना चाहिए, इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं। आप चाहें तो चांदी या पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर रख सकते हैं।

शालिग्राम
शालिग्राम भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। ऐसे में पूजा स्थल में शालिग्राम रखना बेहद ही शुभ होता है। इससे माता लक्ष्मी तो प्रसन्न होती ही हैं, साथ ही भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद मिलता है।

मोर का पंख
भगवान श्रीकृष्ण को मोर पंख अति प्रिय है। उनके मुकुट में हमेशा मोर पंख लगा रहता है। ऐसे में पूजा स्थल में मोर पंख रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
साथ ही यह मान्यता है कि अगर आप घर में अलग-अलग जगह पर मोर का पंख लगाते हैं, तो इससे छिपकलियां नहीं आती। मान्यता है की मोर का पंख मंदिर में रखने से माँ लक्ष्मी उस मंदिर में साक्षात वास करती है।
पढ़े, षटतिला एकादशी के दिन कैसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न