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दिल्ली कोरोनावायरस: जल्द खुल सकते हैं दिल्ली में बंद पड़े स्कूल, आज डीडीएमए की मीटिंग में रखा जायेगा प्रस्ताव!!

दिल्ली में लंबे समय से कोरोना की वजह से बंद पड़े स्कूल अब जल्द खुल सकते हैं. इसे लेकर दिल्ली सरकार आज डीडीएमए की मीटिंग में प्रस्ताव रखेगी.

कोरोना की वजह से पिछले लंबे समय से बंद पड़े दिल्ली के स्कूलों को फिर से खोलने को लेकर दिल्ली सरकार कल होने वाली दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण डीडीएमए मीटिंग में एक प्रस्ताव रखेगी ताकि इस पर जल्द कोई फ़ैसला लिया जा सके. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट के ज़रिये दिल्ली में जल्द स्कूल खोलने की बात भी कही है.

दरअसल अभिभावकों और विशेषज्ञों के एक ग्रुप ने स्कूल खोले जाने की मांग को लेकर उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से आज मुलाकात की थी. जिस पर मनीष सिसोदिया ने सहमति जतायी है. दिल्ली में कोरोना के कारण पिछले 2 सालों से स्कूलों के लगातार बंद होने से न केवल बच्चों की लर्निंग में बहुत बड़ा गैप आया है, बल्कि उन पर मानसिक और भावनात्मक रूप से भी नकारात्मक असर पड़ रहा है.

बच्चों में बढ़ रहा लर्निंग गैप

बच्चों के लर्निंग गैप को ख़त्म करने और उनके सोशल, इमोशनल, मेंटल वेल-बींग के लिए स्कूलों का खोलना बेहद जरुरी हो गया है. इन बातों के साथ बुधवार को सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च की प्रेसिडेंट और सीईओ यामिनी अय्यर व पब्लिक पालिसी एंड हेल्थ सिस्टम एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत लहरिया की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को स्कूलों को खोलने को लेकर ऑनलाइन माध्यम से 1600 से अधिक पेरेंट्स द्वारा हस्ताक्षर किया गया एक ज्ञापन सौंपा.

इस प्रतिनिधि मंडल के सदस्य डॉ.चन्द्रकांत लहरिया ने बताया कि एम्स, आईसीएमआर, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, नीति आयोग, यूनिसेफ, डब्लूएचओ सहित विभिन्न संस्थाओं के अनुसार, छोटे बच्चों में कोरोना का जोखिम बहुत कम होता है. उन्होंने कहा कि स्कूलों के बंद होने से लाभ होने से अधिक बच्चों की लर्निंग और मानसिक भावनात्मक स्वास्थ्य की हानि हुई है इसलिए अब यह बेहद जरुरी है कि स्कूलों को दोबारा से खोल दिया जाए.

फंडामेंटल स्किल्स भूल रहे बच्चे

सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च की प्रेसिडेंट यामिनी अय्यर ने कहा कि लम्बे समय से स्कूलों से दूर रहने के कारण छोटे बच्चों में काफी बड़ा लर्निंग गैप देखने को मिल रहा है. महामारी के कारण दो साल में यह अंतर काफी बढ़ा है और बच्चों को अब स्कूलों से दूर रखने का मतलब है कि एक पीढ़ी को लर्निंग गैप के साथ आगे बढ़ाना. यामिनी अय्यर ने कहा कि बहुत से रिसर्च में पाया गया है कि बच्चे बेसिक मैथमेटिक्स और लैंग्वेज के फंडामेंटल स्किल्स को भी भूल रहे हैं. इस लर्निंग गैप को ख़त्म के लिए स्कूलों का खुलना बेहद जरुरी है. स्कूलों में बच्चों के सम्पूर्ण विकास पर ध्यान दिया जाता है, जो घर में रहते हुए ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से संभव नहीं है.

इस पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई कभी भी ऑफलाइन पढ़ाई की जगह नहीं ले सकती. पिछले 2 सालों में स्कूली बच्चों की जिन्दगी घर के किसी कमरे तक ही सीमित रह गई है. उनका स्कूल प्लेग्राउंड सब कुछ घर में मोबाइल के अंदर ही सिमट गया है. इस दौरान बच्चों की पढ़ाई का नुकसान तो हुआ ही है, साथ ही उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है.

कोरोना छोटे बच्चों के लिए नहीं है घातक

मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना के दौरान हमारे लिए बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता थी, लेकिन अब जिस प्रकार से विभिन्न रिसर्च के माध्यम से यह निकल कर आ रहा है कि कोरोना छोटे बच्चों के लिए घातक नहीं है. ऐसे में यह बेहद जरुरी हो गया है कि जल्द से जल्द स्कूलों को खोला जाए, क्योंकि अब यह समय परीक्षाओं व उससे संबंधित तैयारियों का भी है. मनीष सिसोदिया ने कहा कि विश्व के कई देशों में और भारत में भी कई राज्यों में अब स्कूलों को खोला जा रहा है. इसके आधार पर हम 27 जनवरी को होने वाली डीडीएमए की बैठक में स्कूलों को खोलने की सिफारिश करेंगे.

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Pooja Pandey

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