हर साल बसंत पंचमी के दो दिन बाद रथ सप्तमी का व्रत रखा जाता है. इस दिन को सूर्य का जन्मदिवस माना जाता है. शास्त्रों में इस दिन को बेहद शुभ और पुण्यदायी माना गया है. यहां जानिए रथ सप्तमी की तिथि, व्रत विधि और महत्व के बारे में.

माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. ये सूर्य देव की पूजन का दिन होता है. मान्यता है कि इसी दिन से सूर्यदेव का प्रादुर्भाव हुआ था और उन्होंने समस्त जगत को आलोकित करना शुरू किया था. माना जाता है कि सूर्य के सातों घोड़े इसी दिन उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इस कारण इसे रथ सप्तमी कहा जाता है. रथ सप्तमी को सूर्य जयंती ,अचला सप्तमी,पुत्र सप्तमी और आरोग्य सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है. इस बार रथ सप्तमी का त्योहार 5 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन तमाम लोग व्रत भी रखते हैं. यहां जानिए रथ सप्तमी का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व के बारे में.
रथ सप्तमी शुभ मुहूर्त
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 7 फरवरी, सोमवार, दोपहर 4:37 से सप्तमी तिथि समाप्त: 8 फरवरी, मंगलवार, सुबह 6:15 तक रथ सप्तमी पर स्नान मुहूर्त: 7 फरवरी, सुबह 5:24 से सुबह 7:09 तक अर्घ्यदान के लिए सूर्योदय का समय: सुबह 7:05 मिनट
रथ सप्तमी व्रत विधि
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें और सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद घर के बाहर या बीच में सात रंगों की रंगोली बनाएं. चौक के बीचोंबीच चार मुख वाला दीपक रखें. इसके बाद लाल रंग का फूल, रोली, अक्षत, दक्षिणा, गुड़ चना आदि सूर्यदेव को अर्पित करें. इसके बाद आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और रथ सप्तमी की व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करें और अपनी क्षमतानुसार गेंहू, गुड़, तिल, लाल कपड़ा और तांबे का बर्तन किसी गरीब को दान करें. संभव हो तो दिन भर का व्रत रखें, अगर क्षमता नहीं है तो दान के बाद भोजन कर सकते हैं. इस दिन अधिक से अधिक गायत्री मंत्र या सूर्य मंत्र का जाप करें. माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की तकदीर भी बदल सकती है.
किनके लिए व्रत है हितकारी
1. पिता से संबन्ध मधुर न हों 2. संतान सुख से वंचित हों 3. सेहत अक्सर खराब रहती हो 4. नौकरी और करियर में बाधा हो 5. शिक्षा में रुकावटें आ रही हों 6. प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना हो
व्रत का महत्व समझें
रथ सप्तमी का व्रत आपको सूर्य से जुड़ी परेशानियों से रात दिलाता है. जिसकी कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर हो, जो सूर्य की महादशा झेल रहा हो, उस व्यक्ति को रथ सप्तमी का व्रत जरूर रखना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव की विधिवत पूजा व व्रत करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है. करियर और कारोबार में उन्नति मिलती है. नि:संतान दंपति की संतान की मनोकामना पूर्ण होती है. इस दिन दान का विशेष महत्व है. ऐसे में गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार चीजें दान करना चाहिए.