मध्य एशियाई देशों को भी चीन अपने आर्थिक मकड़जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है. बीते कुछ सालों में मध्य एशिया के पांच प्रमुख देशों की भारत के साथ बढ़ती नजदीकियां देख वह अपनी कुटिल चालों को अमली-जामा पहनाने में जुट गया है. इस लिहाज से गुरुवार का दिन भारत और मध्य एशियाई देशों के रिश्तों के लिहाज से अहम साबित होगा.

अपने किस्म के पहले भारत-मध्य एशिया सम्मेलन के तहत पीएम नरेंद्र मोदी ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपतियों के साथ वर्चुअल बैठक करेंगे. गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दो दिन पहले ही इन देशों के राष्ट्रपतियों के साथ बैठक कर भारी मदद का ऐलान किया है. जाहिर इन परिस्थितियों में जब वैश्विक कूटनीति के समीकरण तेजी से बदल रहे हों, तो भारत के लिए यह बैठक बहुत ज्यादा अहमियत रखती है.
हालांकि यह भी सच है कि कई सारी चुनौतियां भी इन देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के रास्ते में हैं. सबसे बड़ी चुनौती चीन की तरफ से मिल रही है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने वाली बैठक से दो दिन पहले ही मध्य एशिया के इन पांचों देशों के राष्ट्रपतियों के साथ बैठक कर भारी-भरकम मदद देने का ऐलान भी कर दिया. ऐसे में भारत भी इन देशों के सहयोग से कुछ नई परियोजनाओं का घोषणा कर सकता है.

विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पहले भारत-मध्य एशिया सम्मेलन के तीन प्रमुख एजेंडे हैं. इसके तहत कारोबार व कनेक्टिविटी, विकास कार्यों में साझेदारी और सांस्कृतिक व आम जनों के बीच संपर्क को बढ़ावा दिया जाएगा. मोदी सरकार ने पिछले पांच सालों के दौरान इन पांचों देशों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को प्रगाढ़ करने का प्रयास किया गया है, लेकिन अब सामूहिक तौर पर गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में यह वर्चुअल सम्मेलन महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
भारत अपनी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के मद्देनजर इन पांचों देशों में ज्यादा अवसर देख रहा है. खासकर फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और एजुकेशन सेक्टर में भारतीय कंपनियां इन सभी देशों में पैर फैलाना शुरू कर चुकी हैं. आपको बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में कजाखस्तान के राष्ट्रपति पांच बार भारत आ चुके हैं, जबकि पीएम प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 और 2017 में कजाख्सतान का दौरा किया.
इसी तरह किर्गिजस्तान के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी है और वहां के राष्ट्रपति छह बार भारत व भारतीय प्रधानमंत्री दो बार वहां जा चुके हैं. ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति रहमान छह बार भारत आ चुके हैं. उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति सात बार भारत के राजकीय मेहमान बन चुके हैं. तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति भी तीन बार भारत की यात्रा कर चुके हैं. परस्पर देशों के दौरे यह बताते हैं कि इन पांच देशों में भारत संग रिश्तों को प्रगाढ़ करने की इच्छाशक्ति है.
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