खर्राटे लेने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। खर्राटे लेने वाले को पता ही नहीं चलता कि वह रात्रि में खर्राटे लेता है पर पास में सोने वाले उन खर्राटों से परेशान हो जाते हैं। खर्राटे एक समस्या तो हैं पर बीमारी नहीं हैं।
स्लीप एप्निया वाले लोग खर्राटे अधिक लेते हैं। स्लीप एप्निया से शरीर में आक्सीजन की मात्र घट जाती है, जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है। ऐसे लोग रात भर सोने के बाद भी प्रात: उठकर ताजगी महसूस नहीं करते। शरीर अलसाया सा रहता है।

इनके अन्य कारण भी हैं जैसे स्थूल शरीर का होना, नाक बंद होना, टांसिल बढ़े होना, श्वास प्रणाली के मार्ग में रूकावट होना, गले की पेशियों का शिथिल पड़ जाना आदि। खर्राटों को आने से कोई रोक नहीं सकता पर कभी-कभी खर्राटे उस अवस्था में खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं, जब कुछ पल के लिए सांस लेना बंद हो जाता है. आक्सीजन की मात्र घट जाती है और चौंक कर इंसान नींद से उठकर बैठ जाता है और फिर से गहरी सांसें लेना शुरू कर देता है। यह अवस्था स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।
खर्राटे लेने वाले लोगों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन, याददाश्त का हृास व मानसिक एकाग्रता में कमी आ जाती है। इससे उनका रक्तचाप बढ़ जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। ऐसे में ई एनटी सर्जन से मिल कर राय लेकर समय रहते इलाज करवा लेना बेहतर होता है।

कुछ बातों पर विशेष ध्यान देकर आप खर्राटों को दूर करने का प्रयास कर सकते हैं। जैसे- थकान से दूरी रखें क्योंकि अधिक थकान से खर्राटे स्वाभाविक आते हैं। रात्रि में समय पर सोने की आदत बनायें। अधिक देर तक न जागें। पीठ के बल न सोयें क्योंकि पीठ के बल सोने से श्वसन प्रणाली के ऊपरी मार्ग में रूकावट आ जाती है। एक करवट सोने से संभव है श्वसन प्रणाली के ऊपरी मार्ग की रूकावट दूर हो जाए। बढ़े हुए टान्सिल्स पर नजऱ रखें। जब भी गले की तकलीफ हो, उसे नजरअंदाज न करें। डाक्टर से राय लेकर दवा समय पर लें। किसी ईएनटी सर्जन से इसका इलाज करवायें। यदि आपका शरीर स्थूल है तो वजन कम करें।
अपना बिस्तर-तकिया हमेशा साफ रखें क्योंकि धूल मिट्टी से एलर्जी होने पर भी खर्राटों की समस्या बढ़ सकती है। कुछ दिन के अंतराल में बिस्तर को धूप लगाएं। पेट्स से भी दूर रहें क्योंकि यह भी एलर्जी बढ़ाने में मददगार होते हैं। एलर्जी होने पर कुछ समय के लिए श्वसन मार्ग में रूकावट हो सकती है जिससे खर्राटे आने लगते हैं।
नाक खुली रखें। इसके लिए खुले वातावरण में प्रात: काल प्राणायाम करें ताकि आपके शरीर में आक्सीजन की मात्र में कमी न आये। कोल्ड होने पर नाक बार-बार साफ करते रहें ताकि नाक में रेशा न जमने पाये जिससे श्वसन मार्ग को अवरूद्ध न कर पाये। अधिक दिन तक नाक बंद रहने पर डाक्टर से जांच करवायें। नींद की गोलियां, एलर्जी रोधक दवाइयां भी श्वसन मार्ग की पेशियों को सुस्त बना देती हैं जिनसे खर्राटे आने लग सकते हैं।
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