#इलेक्शन की खबरें गोवा राज्य

चुने गए थे 17 विधायक अब बचे सिर्फ 2, कांग्रेस के दिग्गज दिगंबर बोले 2017 वाली गलती के लिए माफी, फिर से नहीं दोहराई जाएगी वो भूल’

2017 का कार्यकाल खत्म होने तक आलम ये है कि कांग्रेस पार्टी के पास अब 17 में से सिर्फ दो ही विधायक बच गए हैं. बाकी 15 विधायकों ने अलग-अलग दलों के दामन थाम लिए हैं. बचे हुए दो विधायकों हैं- सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत और वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह राणे.

2017 गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 17 विधायक चुने गए थे और एक निर्दलीय की मदद से पार्टी के पास 18 विधायकों का समर्थन था. पार्टी बहुमत के आंकड़े से महज तीन सीट ही दूर थी, लेकिन सरकार बना ली 13 सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने. पार्टी नेतृत्व की गलतियों के चलते कांग्रेस के कई विधायक पार्टी का साथ बीच मझदार में ही छोड़कर चले गए. कार्यकाल खत्म होने तक आलम ये है कि कांग्रेस पार्टी के पास अब 17 में से सिर्फ दो ही विधायक बच गए हैं. बाकी 15 विधायकों ने अलग-अलग दलों के दामन थाम लिए हैं. बचे हुए दो विधायकों में से एक हैं पार्टी के वरिष्ठ नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत

पिछले चुनावों को याद करते हुए कामत कहते हैं, “2017 में पार्टी के 17 और एक निर्दलीय विधायक को मिलाकर कुल 18 आए थे, लेकिन पार्टी लीडरशिप से हुई गलती के चलते हम सरकार नहीं बना पाए. उसका फायदा बीजेपी ने उठाया और सरकार बना ली. बीजपी के 13 विधायक जीते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने सरकार बनाई. हमारे वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने इस बार हमसे कहा है कि पिछली बार जो गलती हुई थी वो दोहराई नहीं जाएगी.” कामत ने जनता से पिछली बार के लिए माफी भी मांगी और कहा, “मैं लोगों से क्षमा मांगता हूं कि 2017 में जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ. हमें बहुमत मिलने के बाद भी हम सरकार नहीं बना पाए.

यूं लुटता चला गया कांग्रेस का कारवां

पिछले चुनावों में बहुमत पाने के बाद भी सरकार न बना पाने का खामियाजा कांग्रेस को इस स्तर तक झेलना पड़ा की पार्टी के लगभग सभी विधायक कांग्रेस छोड़ गए. इसकी शुरुआत 2017 के चुनावी नतीजे आने के महज एक हफ्ते के भीतर ही हो गई थी, जब विश्वजीत राणे ने फ्लोर टेस्ट वाले दिन ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद राणे बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव जीतते हुए एक बार फिर विधानसभा पहुंचे. साल 2018 आया. इस साल के आखिर में कांग्रेस पार्टी को एक और झटका लगा, जब दो और विधायक सुभाष सिरोडकर और दयानंद सोप्ते ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया. बाद में सिरोडकर और सोप्ते, दोनों बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव जीतकर फिर से विधानसभा पहुंचे.

2017 के चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर आने वाली कांग्रेस 2018 के आखिर तक अपना ये तमगा खो चुकी थी. हालांकि मनोहर पर्रिकर की मौत के बाद 2019 में पणजी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में एंटासियों मॉन्सराते ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की, लेकिन इसी साल 2019 में जब एक तिहाई से ज्यादा विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ा तो कांग्रेस दहाई के आंकड़े से भी नीचे आ गई. इन 10 विधायकों में एंटानियों मॉन्सराते भी शामिल थे.

2021 के आखिरी महीनों के दौरान सूबे में चुनावी माहौल तैयार होने लगा, तो एक बार फिर विधायकों की आवाजाही शुरू हो गई. सितंबर 2021 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिनिहो फलेरियो  ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए गोवा विधानसभा चुनाव में पहली बार उतर रही तृणमूल कांग्रेस जॉइन कर ली. फलेरियो के बाद दिसंबर में कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता और सूबे के पूर्व सीएम रवी नाइक ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया और बीजेपी का हाथ थाम लिया. दिसंबर के आखिर में ही कांग्रेस पार्टी को एलेक्सियो रेजिनाल्डो लॉरेंसो ने झटका दिया और TMC में शामिल हो गए. मार्च 2017 में 17 की संख्या लेकर चलने वाली कांग्रेस जनवरी 2022 तक आते-आते घटकर 2 रह गई.

“कांग्रेस का वोट बैंक पार्टी का है लीडर का नहीं”

निश्चित ही कांग्रेस के इतने विधायकों और नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने का असर चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पड़ेगा. हालांकि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत इस बात से सहमत नहीं हैं. कामत का कहना है, “कांग्रेस का वोट बैंक पार्टी का है लीडर का नहीं.” कामत ने लोकसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन सीटों पर हमारे विधायक नहीं थे, वहां भी लोकसभा के चुनावों में उन्हें अच्छे खासे वोट मिले. कामत आगे कहते हैं, “कांग्रेस के लोग उम्मीदवार नहीं देखते हैं. इसलिए अगर विधायक गया तो कोई फर्क नहीं पड़ता है. बेस वैसा ही रहता है.” उनका कहना है, “गोवा की सभी 40 विधानसभाओं में कांग्रेस का वोटर बेस है, जो लीडर पर निर्भर नहीं है और अगर पार्टी का नेता चला जाता है तब भी पार्टी के उस बेस पर फर्क नहीं पड़ता है.”

कामत का कहना है कि पार्टी छोड़कर जाने वाले कई लोग वापस आने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा. एलेक्सियो रेजिनाल्डो लॉरेंसो का नाम न लेते हुए उन्होंने कहा, “जो विधायक पार्टी छोड़ गए हैं, उनकी वापस आने की इच्छा जताए जाने के बाद भी उनमें से एक भी विधायक को पार्टी ने वापस नहीं लिया है.” रेजिनाल्डो को कांग्रेस ने टिकट दे दिया था इसके बाद भी वो TMC में शामिल हो गए. अब वो TMC छोड़ चुके हैं और एक बार फिर कांग्रेस में आने के इच्छुक हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें वापस लेकर टिकट देने में कोई रुची नहीं दिखाई है.

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कामत का दावा है कि जो लोग पार्टी छोड़कर गए थे, उनमें से एक भी फिर से नहीं चुना जाएगा और उन्हें जनता का आक्रोश को सहना पड़ेगा. पार्टी की अदला बदली से नाखुश कामत एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहते हैं कि 40 में से 26 विधायकों ने पार्टी की अदला बदली की. कामत का कहना है कि इस तरह के रवैए के चलते लोगों में काफी गुस्सा है और वो इस बार ऐसे नेताओं को सबक सिखाएंगे.

गठबंधन जब भी होता है तब असंतोष भी होता है

कई अलग-अलग पार्टियों के नेताओं ने कांग्रेस भी जॉइन की है. ऐसे नेताओं के कांग्रेस में आने के चलते पार्टी के स्थानीय नेताओं में नाराजगी देखी गई है. पार्टी के कई स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं ने नाराजगी जाहिर भी की है. इसपर कामत कहते हैं, “गठबंधन जब भी होता है तो नाराजगी और असंतोष तो होता ही है. जब गठबंधन होता है तब वहां के इच्छुक लोग और संगठन के कार्यकर्ताओं में नाराजगी होती ही है. उनको समझाया जाएगा. उनसे बातचीत हो रही है.”

Avatar

Pooja Pandey

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Welcome to fivewsnews.com, your reliable source for breaking news, insightful analysis, and engaging stories from around the globe. we are committed to delivering accurate, unbiased, and timely information to our audience.

Latest Updates

Get Latest Updates and big deals

    Our expertise, as well as our passion for web design, sets us apart from other agencies.

    Fivewsnews @2024. All Rights Reserved.