मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में दिग्विजय सिंह जहां बड़ा ठाकुर चेहरा हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम को ठाकुर नेता के तौर पर देखा जाता है. माना यह जा रहा है कि कृषि कानून को लेकर किसानों के आंदोलन को देखते हुए तोमर को चुनाव प्रचार से अलग रखा गया है.

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का पड़ोसी राज्य है लगभग हर चुनाव में मध्य प्रदेश के नेताओं की सक्रियता उत्तर प्रदेश में देखी जाती रही है, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी ने पहले दौर के मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है उसमें मध्य प्रदेश के किसी भी नेता को जगह नहीं दी गई है! हिंदी पट्टी के राज्यों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चेहरा कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है. वे अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं. मुख्यमंत्री के पद पर उन्हें 16 साल से भी अधिक का समय हो गया है. पार्टी ने उनका उपयोग कई राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान किया है. यहां तक कि उन्हें बंगाल चुनाव में भी प्रचार के लिए भेजा गया था.
पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के लिए स्टार प्रचारकों की जो पहली सूची जारी की गई है उसमें शिवराज सिंह चौहान का नाम ना होने से हैरानी जाहिर की जा रही है. सामान्यतः राजनीतिक दल अपने मुख्यमंत्रियों का उपयोग चुनाव वाले राज्यों में प्रचार के लिए करते रहते हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कांग्रेस पार्टी ने ओबीसी चेहरा होने के कारण ही चुनाव की जिम्मेदारी दी है.
शिवराज सिंह चौहान के नाम से ओबीसी वोटों पर फर्क पड़ता
मध्य प्रदेश से भी ओबीसी के कई कांग्रेसी नेता उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचार के लिए सक्रिय हैं. इनमें राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल भी शामिल हैं. मध्यप्रदेश में पिछले दो माह से निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य वर्ग में बदले जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक चुनौतियां भी बढ़ी हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए उन्होंने पंचायतों के चुनाव को ही निरस्त करना बेहतर समझा.
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी छोड़कर जाने वाले पिछड़े वर्ग के कई नेताओं ने उपेक्षा के भी आरोप लगाए हैं. माना यह जा रहा था कि पार्टी ओबीसी वोटों को साधने के लिए शिवराज सिंह चौहान को प्रचार में उपयोग करेगी. मुख्यमंत्री चौहान का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में ना होने पर कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि शायद पार्टी नेतृत्व को लगता है कि मध्य प्रदेश बीजेपी के नेता पार्टी को वोट नहीं दिला सकते.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा का संसदीय क्षेत्र खजुराहो उत्तर प्रदेश राज्य से लगा हुआ है. उम्मीद यह की जा रही है कि जब उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में प्रचार तेज होगा, तब मध्य प्रदेश के कुछ नेताओं को प्रचार के लिए वहां भेजा जा सकता है?
केंद्रीय मंत्रियों को भी नहीं मिल पाई प्रचारकों की सूची में जगह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले कई महत्वपूर्ण चेहरे भी हैं. इनमें नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. सिंधिया उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ पार्टी का प्रचार करते दिखाई दे रहे थे. इस कारण उत्तर प्रदेश के कई इलाके और वहां के नेताओं से उनका संपर्क अभी भी बना हुआ है. सिंधिया मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी नेतृत्व सिंधिया का उपयोग युवा चेहरे के रूप में कर सकती है?
मध्य प्रदेश के ब्राह्मण चेहरों से भी बनाई दूरी
पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी पार्टी का प्रचार करने के लिए उत्तर प्रदेश गए थे. लेकिन इस बार उनका नाम भी सूची में नहीं है.
देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश से ही सांसद हैं. उनका निर्वाचन क्षेत्र मुरैना उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. ठाकुरों में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में दिग्विजय सिंह जहां बड़ा ठाकुर चेहरा हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी में तोमर के नाम को ठाकुर नेता के तौर पर देखा जाता है. माना यह जा रहा है कि कृषि कानून को लेकर किसानों के आंदोलन को देखते हुए तोमर को चुनाव प्रचार से अलग रखा गया है. मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि पार्टी संगठन को जहां जिस नेता की आवश्यकता होती है वहां उसका उपयोग करती है. चतुर्वेदी ने कहा स्टार प्रचारक की सूची से किसी नेता के कद का आकलन नहीं किया जाना चाहिए.