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कश्मीरी पंडितों ने मनाया‘पलायन दिवस’,पीड़ितों के लिए की न्याय की मांग

कश्मीरी पंडितों ने बुधवार को पलायन दिवस मनाया. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए पंडितों को कश्मीर घाटी में घर वापसी की मांग की. साथ ही पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की.

कश्मीरी पंडितों ने बुधवार को ब्लैक डे मनाया. आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते 19 जनवरी 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ था. इस दिन को कश्मीरी पंडित काला दिन के रूप में मनाते हैं और कट्टरपंथियों का विरोध करते हैं. बुधवार को भी पंडितों ने आतंकवादियों द्वारा शुरू किए गए नरसंहार अभियान के तहत अपने सामूहिक पलायन के 32 साल पूरे होने पर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों के हाथों में कई तख्तियां थी, जिन पर लिखा था ‘हमारे हत्यारों को फांसी दो’. उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देने वाले पीड़ितों के लिए न्याय और पलायन के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए कड़ी सजा की मांग की.

प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित वीरजी काचरू ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की और पूछा कि हमें कश्मीर घाटी में हमारे घरों में वापस क्यों नहीं भेजा जा रहा है.  उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार को दो बार वोट यह सोचकर दिया कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे. हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि हम अपने घर वापस कब जाएंगे.

काचरू ने कहा कि हमें आज संघर्ष करते हुए 32 साल हो गए. यह हमारे लिए सिर्फ एक सामान्य दिन है. हमें अपने घरों से भगा दिया गया था. वहीं एक अन्य कश्मीरी पंडित शालीदाल पंडित ने कहा कि हम निर्वासन में अपना जीवन जी रहे हैं. 19 जनवरी 1990 का दिन एक काला दिन था, जब पाकिस्तान ने कश्मीरी पंडितों के खिलाफ साजिश रची थी और हमें अपने घरों से निकाल दिया गया.

शालीदाल ने समुदाय के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए उचित कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि हम उस सरकार से निराश हैं जिसने हमसे पुनर्वास का वादा किया था. लेकिन उन्होंने हमें राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि हम सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वह हमें घाटी में हमारे घरों में वापस भेज दें. 32 साल पहले 19 जनवरी 1990 को जम्मू और कश्मीर ने आतंकवादियों द्वारा शुरू किए गए नरसंहार अभियान के बाद कश्मीरी पंडितों के सामूहिक पलायन की शुरुआत देखी है.

19 जनवरी 1990 को क्या हुआ था

19 जनवरी, 1990 को कश्मीरी पंडितों के लिए एक काला दिन माना जाता है, क्योंकि ये वही दिन था जब उन्हें चरमपंथियों द्वारा हिंसा के जरिए अपना घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर किया गया था. उस समय कट्टरपंथियों ने पंडितों को घर छोड़कर ना जाने पर केवल 2 विकल्प दिए थे. या तो इस्लाम में परिवर्तित हो जाए या उनके क्रोध और अत्याचारों का सामना करें. इसका परिणाम ये हुआ कि कश्मीरी पंडितों को भारत में कहीं और शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

1990 में लगभग 30,000 से 60,000 की तुलना में कश्मीर घाटी में 2016 तक केवल 2000 से 3000 कश्मीरी हिन्दू रह गए थे. 19 जनवरी 1990 को कश्मीरी हिंदुओं द्वारा उन कश्मीरी हिंदुओं की याद में पलायन दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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Pooja Pandey

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