21 जनवरी शुक्रवार को सकट चौथ का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन संतान की सलामती के लिए महिलाएं गणपति का व्रत रखती हैं और उनकी पूजा करके तिलकुट का भोग लगाती हैं. गणपति की पूजा के दौरान कुछ बातों को ध्यान रखना बहुत जरूरी है, वरना पूजा व्यर्थ हो सकती है.

माघ के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि सकट चौथ के नाम से जानी जाती है. इसे सकट और तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है. ये त्योहार उत्तर भारत में खासतौर पर मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं गणपति की पूजा करके उन्हें तिल से बने तिलकुट का भोग लगाती हैं और अपनी संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए निर्जल व्रत रहती हैं. रात में चंद्रमा निकलने के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और इसके बाद अपने व्रत का पारण करती हैं. जो महिलाएं व्रत नहीं रखतीं, वे सुबह गणपति का पूजन करके उन्हें तिलकुट का भोग लगाती हैं. इस बार सकट चौथ का व्रत 21 जनवरी को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. माना जाता है कि ये व्रत संतान पर आए सभी संकटों को टाल देता है. अगर आप भी अपनी संतान के सुख और सलामती के लिए ये व्रत रखने जा रही हैं, तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें.
गणेश चतुर्थी व्रत के दौरान न करें ये गलतियां
1. गणेश जी को शास्त्रों में प्रथम पूज्य माना गया है और उन्हें शुभता का प्रतीक कहा गया है. मान्यता है कि जहां गणेश भगवान की कृपा होती है, वहां कभी अमंगल नहीं होता. इसलिए गणपति की पूजा के दौरान पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें. इन्हें शुभ माना जाता है. काले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने का विचार भी मन में न लाएं. शास्त्रों में काले रंग के वस्त्रों को पूजा के दौरान पहनना वर्जित बताया गया है.
2. गणपति को भूलकर भी तुलसी का पत्ता मत चढ़ाइएगा वरना आपकी सारी पूजा व्यर्थ हो जाएगी. गणपति कभी तुलसी को स्वीकार नहीं करते हैं. तुलसी सिर्फ भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों को अर्पित की जाती हैं. गणपति को दूर्वा अति प्रिय है. आप पूजा के दौरान उन्हें 21 दूर्वा की गांठ जरूर चढ़ाएं.
3. गणेश चतुर्थी के व्रत में शाम को गणपति की पूजा करने के बाद चंद्र दर्शन करने का विधान है. इसलिए अपने व्रत का पारण चंद्र दर्शन से पहले करने की भूल न करें. चंद्र दर्शन करते समय चंद्रमा को अर्ध्य जरूर दें.
4. चंद्रमा को अर्घ्य देने के दौरान इस बात का खयाल रखें कि पानी की छीटें आपके पैरों पर न पड़ें. इससे बचने के लिए आप नीचे गमला या बाल्टी रख लें. अगले दिन इस पानी को किसी गमले में या पेड़ पौधों में डाल दें. अर्घ्य के लिए जल में दूध और अक्षत जरूर डालें.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)