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दिल्ली दंगों पर पहली सजा, दोषी दिनेश यादव को 5 साल की जेल

जमानत याचिकाओं पर पहले हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए याचिकाओं का विरोध किया था कि जहां दंगे सुबह शुरू हुए और देर रात तक जारी रहे थे, यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी दोपहर में दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा थे.

दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में दोषी ठहराए गए पहले शख्‍स दिनेश यादव को पांच साल जेल की सजा सुनाई है. वहीं मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में हत्या के एक मामले में आरोपी छह व्यक्तियों को जमानत दी थी. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने मोहम्मद ताहिर, शाहरुख, मोहम्मद फैजल, मोहम्मद शोएब, राशिद और परवेज की जमानत याचिकाएं स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी इलाके में भीड़ ने तोड़फोड़ की और मिठाई की एक दुकान में आग लगा दी थी, जिससे दिलबर नेगी नाम के 22 वर्षीय एक व्यक्ति की जल कर मौत हो गई थी.

नेगी मिठाई की दुकान में काम करता था. पुलिस के अनुसार दंगा की घटना 24 फरवरी, 2020 को शिव विहार तिराहे के पास हुई थी, जिसमें आरोपी व्यक्तियों ने कथित तौर पर पथराव किया, तोड़फोड़ की और वहां कई दुकानों में आग लगा दी थी. दो दिन बाद दुकान से नेगी का क्षत-विक्षत शव मिला था. इस संबंध में गोकुलपुरी थाने में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

700 लोग हुए थे घायल

जमानत याचिकाओं पर पहले हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए याचिकाओं का विरोध किया था कि जहां दंगे सुबह शुरू हुए और देर रात तक जारी रहे थे, यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी दोपहर में दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा थे और रात के दौरान नहीं. संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी, 2020 को उत्तरपूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं थी और कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 700 लोग घायल हो गए थे.

दिल्ली पुलिस ने किया उमर खालिद की जमानत याचिका विरोध

वहीं दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली दंगों के मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि दंगों की साजिश का मकसद आखिरकार भारत सरकार को घुटनों पर लाना और लोकतंत्र की बुनियाद को अस्थिर करना था. खालिद और कई अन्य लोगों पर विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन पर 2020 में हुए दंगों की साजिश रचने का आरोप है. उनकी जमानत अर्जियों पर पांच महीने से अधिक समय से बहस चल रही है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष सरकारी अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता के इन दावों का विरोध किया कि जांच एजेंसी सांप्रदायिक है और दंगों की साजिश के मामले में आरोपपत्र मनगढ़ंत है.

 

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Pooja Pandey

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