उत्तर प्रदेश के शामली जनपद की थाना भवन विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, तो वहींं दूसरे नंबर पर जाट मतदाता हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी उम्मीदवार को सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार से कड़ी चुनौती मिलना तय माना जा रहा है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो गया है. इसके साथ ही चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. इन्हीं तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश के शामली जनपद की थानाभवन विधानसभा सीट पर इस बार सभी राजनीतिक दलों की नजरें हैं. जिसे जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है. असल में यह सीट मुस्लिम मतदाता बहुल है, लेकिन बीजेपी लगातार दो बार से कमल खिलाती आ रही है और बीजेपी के उम्मीदवार सुरेश राणा विधायक निर्वाचित होते रहे हैं.
सुरेण राणा को लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित होने का फायदा भी मिला और वह कैबिनेट मंत्री बनाए गए, लेकिन इस बार इस सीट पर बीजेपी का तिलस्म खत्म करने के लिए अन्य राजनीतिक दलों ने रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है. असल में इस सीट पर 10 फरवरी को मतदान होना है. बीजेपी ने जहां तीसरी बार सुरेश राणा पर दांव लगाया है और उन्हें टिकट दिया है. तो वहीं बसपा ने सपा से बागी हुए जहीर मलिक को उम्मीदवार बनाया है. जबकि सपा और आरएलडी गठबंधन ने असरफ अली पर दांंव लगाया है.
2012 में मामूली अंतर से जीते थे सुरेश राणा, मुजफ्फरनगर दंगोंं में आया था विधायक का नाम
शामली जनपद की थाना भवन सीट पिछले कई बार से हॉट सीट बनी हुई है. असल में इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार सुरेश राणा 2012 में पहली बार जीत दर्ज करने में सफल हुए थे. इस चुनाव में उन्होंने रालोद के अशरफ अली खान को मात्र 265 वोटों से शिकस्त दी. इसके बाद हुए मुजफ्फरनगर दंगें में विधायक सुरेश राणा का नाम भी आया था. जिन्हें आरोपी भी बनाया गया था, लेकिन 2017 में हुए चुनाव में उन्हें जनता का समर्थन मिला और वह बसपा के अब्दुल वारिश खान से 16 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीतने में सफल रहे. इसके बाद जब बीजेपी की सरकार बनी तो वह आरोप मुक्त हुए साथ ही कैबिनेट मंत्री बनाए गए.
इस सीट पर बीजेपी और सपा ने सबसे अधिक बार जीत दर्ज की है
इस विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो बीजेपी और सपा के उम्मीदवार इस विधानसभा सीट से सबसे अधिक तीन-तीन बार विजय हुए हैं. सबसे पहले 1969 के चुनाव में भारतीय क्रांति दल के राव रफी खान जीत दर्ज करने में सफल हुए. 1974 के चुनाव में कांग्रेस के मलखान सिंह ने जीत दर्ज की. 1977 में जनता पार्टी के मूल चंद विजय हुए. 1980 में कांग्रेस के सोमांश प्रकाश ने खाता खोला. 1985 के चुनाव में लोक दल के आमिर आलम खान विजय हुए. 1989 में कांग्रेस की वापसी हुई और नकली सिंह विधायक बने. 1991 में जनता दल के टिकट पर सोमांश प्रकाश विधानसभा पहुंचे.
1993 में बीजेपी ने खाता खोला और जगत सिंह विजय हुए. 1996 में सपा के आमिर आलम खान विधायक बने. 2000 में हुए उपुचनाव में सपा के जगत सिंह को जीत मिली. 2002 के चुनाव फिर सपा काबिज हुई और किरन पाल विधायक बने. 2007 में आरएलडी के अब्दुल वारिश खान जीते. 2012 और 2017 में लगातार दो बार सुरेश राणा विधायक बने.
सीट का जातीय समीकरण के चलते मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार
उत्तर प्रदेश के शामली जनपद की थानाभवन विधानसभा सीट की गिनती मुस्लिम बहुल सीटों में होती है, थानाभवन विधानसभा सीट पर कुल 3,10,389 मतदाता हैं. जिसमें अनुमानित तौर पर सबसे ज्यादा 93,000 मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं 42,000 जाट है. जबकि 60,000 दलित, 20,000 ठाकुर, 14,000 ब्राम्हण, 11,000 कश्यप और 21,000 सैनी मतदाता हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर जाट मतदाताओंं ने रालोद पर वापिस भरोसा जताया तो रालोद-सपा गठबंधन को इस सीट पर फायदा हो सकता है. हालांकि बसपा की तरफ से मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिए जाने के बाद मुकाबले के त्रिकोणीय होने के आसार हैं.