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7 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल, बजट से पहले क्यों बढ़ रही है सरकार की टेंशन

कच्चा तेल की कीमत 7 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. इस समय यह 87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है. आने वाले दिनों में इसमें और तेजी की संभावना है.

ग्लोबल राजनीति में टेंशन घटने और ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर चिंता कम होने के कारण कच्चे तेल का भाव लगातार बढ़ रहा है. इस समय कच्चा तेल 7 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. सुबह के 10 बजे इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव 87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर ट्रेड कर रहा था. साप्ताहिक आधार पर यह लगातार पांचवां सप्ताह है जब कच्चे तेल में तेजी है. अक्टूबर 2014 के बाद से कच्चे तेल का यह सर्वोच्च स्तर है. जनवरी के महीने में अब तक कच्चा तेल और डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत में 10 फीसदी से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई है. इन्वेस्टर्स इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इकोनॉमिक एक्टिविटी में तेजी आएगी जिससे मांग बढ़ेगी.

इस समय कच्चे तेल की मांग ज्यादा है, लेकिन सप्लाई कम है जिसके कारण भाव में तेजी आ रही है. सोमवार को यमन के हूती विरोधियों ने अबूधाबी में तेल टैंक ब्लास्ट किया था जिसमें 3 नागरिकों की मौत हो गई. यह अटैक ड्रोन की मदद से किया गया. इस महीने हूती विद्रोहियों का यह दूसरा हमला था. हूती विद्रोही ऐसा तेल प्रोडक्शन के काम में बाधा पहुंचाने के लिए कर रहे हैं. इस घटना के बाद कच्चे तेल का भाव और तेजी से बढ़ा है.

कीमत में तेजी के आसार

1 दिसंबर 2021 को कच्चे तेल का भाव 69 डॉलर प्रति बैरल था. केवल छह सप्ताह में यह करीब 25 फीसदी तक उछल चुका है. ऐनालिस्ट्स का कहना है कि ऑयल प्रोडक्शन कैपेसिटी में तेजी की संभावना नहीं दिख रही है. प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए नया इन्वेस्टमेंट भी नहीं किया जा रहा है. ओमिक्रॉन के कारण संकट के बादल छंट रहे हैं. ऐसे में मांग में तेजी के कारण कीमत बढ़ रही है.

कच्चे तेल बिगाड़ सकता है सरकार का खेल

1 फरवरी को सरकार बजट पेश करने जा रही है. ऐसे में कच्चे तेल में उछाल का क्या असर होगा इसके बारे में जानना जरूरी है. अनुमान के मुताबिक, अगर कच्चे तेल का भाव 10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ता है तो राजकोषीय घाटे में 10 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा आता है. भारत बड़े पैमाने पर तेल का आयात करता है. तेल आयात बिल बढ़ने से करेंट अकाउंट डेफिसिट भी बढ़ता है. अगर करेंट अकाउंट डेफिसिट के साथ-साथ महंगाई दर में तेजी जारी रहती है तो रिजर्व बैंक के लिए उदार नीति को जारी रख पाना मुश्किल होगा. आयात बिल बढ़ने के कारण डॉलर रिजर्व घटेगा और इससे रुपए में भी कमजोरी आएगी. इस तरह कच्चे तेल में उछाल से सरकार का बैलेंसशीट पूरी तरह बिगड़ जाएगा.

2022 में भी कच्चे तेल में तेजी बनी रहेगी

कमोडिटी ऐनालिस्ट्स का कहना है कि साल 2022 में भी कच्चे तेल में तेजी बनी रहेगी. स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि 2022 में कच्चे तेल के भाव में 8 डॉलर का उछाल आ सकता है और यह 75 डॉलर के औसत भाव तक पहुंच सकता है. 2023 में यह कीमत 17 डॉलर के उछाल के साथ 77 डॉलर के औसत स्तर पर पहुंच सकता है. वहीं,जेपी. मॉर्गन का अनुमान है कि इस साल के अंत तक कच्चे तेल का भाव 90 डॉलर तक पहुंच सकता है.

2023 तक 150 डॉलर जाने का अनुमान

मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि इस साल की तीसरी तिमाही तक कच्चे तेल का भाव 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएगा. पिछले दिनों एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी EIA और ब्लूमबर्ग ने साल 2022 के लिए ओपेक देशों का ऑयल प्रोडक्शन की क्षमता को घटकार 0.8 मिलियन और 1.2 मिलियन बैरल रोजाना कर दिया था. इस रिपोर्ट के बाद जेपी मॉर्गन ने आने वाले दिनों में कच्चे तेल के भाव में 30 डॉलर प्रति बैरल तक के उछाल का अनुमान लगाया है. इंवेस्टमेंट बैंक का कहना है कि इस साल कच्चे तेल का भाव 125 डॉलर और 2023 में 150 डॉलर तक पहुंच सकता है.

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Pooja Pandey

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