राजस्थान राज्य

3 साल से बिना मुखिया के राजस्थान का महिला आयोग, आखिर किसके दरवाजे पर जाएं फरियादी महिलाएं !

गहलोत सरकार के 3 साल पूरे होने के बाद भी प्रदेश में राज्य महिला आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था नए अध्यक्ष की राह देख रही है. सामाजिक कार्यकर्ता और महिला संगठन पिछले 3 साल से आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.

राजस्थानमें लगातार महिला एवं बच्चों के साथ अपराधों  का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, प्रदेश के कई जिलों में आए दिन महिला अत्याचार की कोई घटना सामने आती है लेकिन सरकार के 3 साल पूरे होने के बाद भी प्रदेश में राज्य महिला आयोग  जैसी महत्वपूर्ण संस्था 3 साल से अधिक समय बाद भी नए अध्यक्ष की राह देख रही है. सामाजिक कार्यकर्ता और महिला संगठन पिछले 3 साल से आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, लेकिन गहलोत सरकार अब तक अध्यक्ष और कई सदस्यों के पदों को भरने में नाकाम रही है.

उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार इस तरह के वैधानिक निकायों की उपेक्षा कर रही है. बता दें कि अदालत ने एक आदेश में सरकार को इन आयोगों में जल्द नियुक्तियां करने का कहा था. फिलहाल राजस्थान में 10 वैधानिक आयोगों में से केवल तीन में अध्यक्ष है. गौरतलब है कि गत वसुंधरा राजे सरकार में भी अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही इन आयोगों में नियुक्तियां हुई थी.

3 साल से बिना अध्यक्ष के राज्य महिला आयोग

उच्च न्यायालय ने आयोगों में अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर कुछ समय पहले इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था और सरकार से कहा था कि ये वैधानिक निकाय सुशासन का एक अभिन्न अंग हैं और इनका सांगठनिक ढ़ांचा समय पर तैयार करने की जरूरत है.

बता दें कि पिछली राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा का कार्यकाल 19 अक्टूबर, 2018 को समाप्त हो गया था जिसके बाद से आयोग बिना अध्यक्ष के है. वहीं हैरान करने देने वाला तथ्य एक यह भी है कि सीएम अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल (1998-2003) के दौरान ही राज्य में महिला आयोग अस्तित्व में आया था.

साल 2021 में दुष्कर्म के 6337 मामले, 2020 की तुलना में 19 फीसदी बढ़ोतरी

वहीं राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में प्रदेश भर में महिलाओं के साथ बलात्कार के 6337 मामले दर्ज किए गए जो कि साल 2022 में दर्ज मामलों की तुलना में 19.3 फीसदी ज्यादा है. 2020 में बलात्कार 5310 मामले पुलिस ने दर्ज किए थे, ऐसे में महिला आयोग का नहीं होना राज्य सरकार की महिलाओं की सुरक्षा के प्रति किए गए वादे पर सवालिया निशान खड़े करता है.

इसके अलावा 2021 में पुलिस ने 2377 मामलों में एफआर लगाई यानि उन्हें सबूतों के अभाव या अन्य कारणों से झूठा माना गया. इसके अलावा 3125 मामलों में पुलिस ने चालान पेश किया जबकि 825 मामलों में अभी जांच जारी है. वहीं आंकड़ों पर पुलिस का यह तर्क रहता है कि हर मामले दर्ज किए जाने से आंकड़ों में इतना उछाल दिखाई देता है.

वहीं बालिकाओं पर अत्याचार के मामले में स्पेशल पॉक्सो एक्ट के तहत भी राजस्थान की पॉक्सो कोर्ट में फिलहाल 7000 मामले लंबित हैं जिन पर सुनवाई होनी बाकी है. इसके अलावा भरतपुर जैसे जिले में कुछ मामलों में 7-8 साल से सुनवाई हो रही है.

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Pooja Pandey

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