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कोविड-19 से मौत पर पारसी परंपरा से अंतिम संस्कार की इजाजत देने से केंद्र का इनकार, सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने दिया जवाब

पारसी समुदाय की शिकायत है कि कोविड-19 से मरने वाले समुदाय के सदस्यों का पांरपरिक रूप से अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है. इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने पिछले साल 23 जुलाई को याचिका खारिज कर दी थी.

केंद्र सरकार ने कोविड-19 संक्रमण से मौत होने पर पारसी समुदाय के तौर-तरीकों से शवों के अंतिम संस्कार की मांग पर मौजूदा गाइडलाइंस में बदलाव ने इनकार कर दिया है. सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि कोविड से हुई मौतों के बाद शव को सही तरीके से दफनाना या जलाना जरूरी है, नहीं तो संक्रमण के फैलने की आशंका रहेगी. कोर्ट में दाखिल याचिका में पारसी समुदाय ने अनुरोध किया था कि कोविड-19 से मरने वाले समुदाय के सदस्यों को उनकी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी जाए, बजाय कि उनको जलाने या दफनाने की.

हलफनामे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि तय मानक प्रक्रिया के तहत, कोविड-19 से हुई मौतों के बाद शव को या तो जलाया जाता है या दफनाया जाता है ताकि संक्रमण किसी भी तरीके से नहीं फैले. सरकार ने कहा कि शवों को दफनाने और दाह संस्कार करने के अलावा कोई दूसरा उचित तरीका नहीं है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह प्रोटोकॉल में बदलाव के लिए याचिकाकर्ता और धर्म के प्रतिष्ठित लोगों के साथ बैठकर बातचीत करे और इसका हल निकाले. दोनों पक्षों की इस बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा. इस संबंध में पारसी समुदाय की याचिका गुजरात हाई कोर्ट ने पिछले साल 23 जुलाई को खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. कोर्ट ने 6 दिसंबर को मामले में केंद्र और गुजरात सरकार से जवाब तलब किया था.

पारसी समुदाय की शिकायत है कि कोविड-19 से मरने वाले समुदाय के सदस्यों का पांरपरिक रूप से अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है. सूरत पारसी पंचायत बोर्ड की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन ने कहा था कि पारसी समुदाय देश में एकमात्र समुदाय है, जिसके पास पेशेवर ताबूत उठाने वाले हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा दिशानिर्देश दफनाने की अनुमति नहीं देते, जैसा कि पारसी समुदाय में होता है.

नरीमन ने कहा था कि पारसियों में पार्थिव शरीर उठाने वालों का एक समुदाय होता है और अगर किसी का निधन हो जाता है तो परिवार के सदस्य पार्थिव शरीर को नहीं छूते हैं और केवल विशिष्ट समुदाय के लोग ही ऐसा कर सकते हैं. उन्होंने कहा था कि कोविड-19 पीड़ितों के अंतिम संस्कार और शवों को दफनाने के लिए सामान्य दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन पारसी समुदाय के बारे में कुछ भी नहीं है.

पारसी समुदाय में शव के अंतिम संस्कार की ‘दोखमे नशीन’ परंपरा है जिसमें शव को गिद्धों और अन्य पक्षियों के लिए खुले में छोड़ दिया जाता है. इससे पहले कोर्ट ने बीते सोमवार को पारसी समुदाय की शिकायतों का सौहार्दपूर्ण समाधान करने के लिए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगी थी.

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Pooja Pandey

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