जहां ओमिक्रोन की वजह से जारी कोरोना की तीसरी लहर छोटी अवधि के लिए ही है, लेकिन इससे मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है. रिसर्च कंपनी नोमुरा ने यह कहा है. उसके मुताबिक, इससे रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी को फरवरी से आगे अप्रैल तक टाला जा सकता है.

जहां ओमिक्रोन की वजह से जारी कोरोना की तीसरी लहर छोटी अवधि के लिए ही है, लेकिन इससे मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है. रिसर्च कंपनी नोमुरा ने यह कहा है. उसके मुताबिक, इससे रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी को फरवरी से आगे अप्रैल तक टाला जा सकता है. रिसर्च में दिखता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरी लहर में दूसरी लहर के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में दाखिल हुई है, लेकिन कुछ रूकावटों और राज्य द्वारा प्रतिबंधों को दोबारा लगाए जाने का असर शुरू हो रहा है.
निजी एयरलाइन इंडिगो ने हाल ही में अपनी 20 फीसदी उड़ानों में कटौती की थी. जबकि, IRCTC ने मुंबई-अहमदाबाद तेजस एक्सप्रेस की फ्रिक्वेंसी को 12 जनवरी से 11 फरवरी के बीच हफ्ते में पांच दिन से तीन दिन कर दिया था.
सर्विसेज सेक्टर में रिकवरी में देरी होने की उम्मीद
नोमूरा ने कहा कि प्रतिबंधों को दोबारा लगाने से सर्विसेज सेक्टर में रिकवरी में देरी होने की उम्मीद है, जो तीसरी लहर आने से पहले भी महामारी पूर्व के स्तर से पीछे चल रही थी. लेकिन उसका मानना है कि मैन्युफैक्चरिंग और नॉन-कॉन्टैक्ट इंटेंसिव सर्विसेज बनी रहेंगी. नोमूरा ने आगे कहा कि कोरोना वायरस महामारी की पिछली लहरों से सप्लाई के मामले में रूकावटें आईं थीं और मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा था. उसका कहना है कि ये लहर के खत्म होने के बाद भी बरकरार रह सकती हैं, जिससे घरों की बैलेंट शीट पर बुरा असर पड़ सकता है.
रिसर्च कंपनी का मानना है कि तीसरी लहर से मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भारत की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ेगा. लेकिन मोमेंटम में गिरावट दूसरी लहर के मुकाबले काफी कम रहेगी और बड़े तौर पर सर्विस में बनी रहेगी. उसने चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को सालाना आधार पर 5.2 फीसदी से घटाकर 3.2 फीसदी कर दिया है.
महंगाई में होगी बढ़ोतरी: रिपोर्ट
हालांकि, नोमूरा ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में धीमी रफ्तार से वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में जीडीपी बेहतर दिख सकती है, जिससे तीसरी लहर से रिकवरी नजर आएगी. मुद्रास्फीति की बात करते हुए, नोमूरा ने कहा कि जहां तीसरी लहर से मुद्रास्फीति बढ़ेगी, लेकिन ये पिछले दो लहरों के दौरान के मुकाबले जितनी बुरी नहीं होगी. उसने मुख्य मुद्रास्फीति के दिसंबर में सालाना 5.6 फीसदी से बढ़कर जनवरी में 6.0 से 6.5 फीसदी होने की उम्मीद जताई है. इस बात का ध्यान रखें कि आरबीआई की एमपीसी ने मुद्रास्फीति के 2 से 6 फीसदी बनाए रखने को तय किया है.
पॉलिसी के मामले में, नोमूरा को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी को मौजूदा उम्मीद के फरवरी से आगे बढ़ाकर अप्रैल में करेगा. उसे उम्मीद है कि रेपो रेट में बढ़ोतरी 2022 में 100 बेसिस प्वॉइंट्स की होगी, जो अप्रैल से शुरू होगी.