नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि संबंधित कंपनी की तरफ से एक्शन प्लान देने के बाद प्राधिकरण ने सीबीआरआई से लिखित पक्ष मांगा था. उन्होंने कहा कि सीबीआरआई की तरफ से आए 5-6 सुझावों को संबंधित कंपनी को अपने एक्शन प्लान में शामिल करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण से उस एजेंसी का नाम बताने को कहा है जिसे सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट के ट्विन टावरको ध्वस्त करने का काम दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को 17 जनवरी को इस मामले पर जवाब देने का निर्देश दिया है. नोएडा सेक्टर-93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में बने अवैध टावरों को गिराने की प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है.
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पहले टावर तोड़ने के लिए बने एक्शन प्लान की स्टडी की. इसके बाद नोएडा प्राधिकरण को कुछ सुझाव दिए हैं. प्राधिकरण ने ये सुझाव बिल्डर को दिए हैं. साथ ही संबंधित कंपनी से जल्द कॉन्ट्रैक्ट कर टावर गिराए जाने की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

दस सेकेंड में ध्वस्त होग टावर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्विन टावर को गिराने की तैयारी करने में तीन महीने का समय लगेगा. इसके बाद सिर्फ दस सेकेंड में टावर ध्वस्त कर दिए जाएंगे. नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि संबंधित कंपनी की तरफ से एक्शन प्लान देने के बाद प्राधिकरण ने सीबीआरआई से लिखित पक्ष मांगा था. उन्होंने कहा सीबीआरआई की तरफ से आए 5-6 सुझावों को संबंधित कंपनी को अपने एक्शन प्लान में शामिल करना होगा.
पूरी प्रक्रिया में लगेगा 6 महीने का समय
दिए गए एक्शन प्लान के मुताबिक दोनों टावर फॉल इंपोलजन कॉलेप्स मैकेनिज्म से ढहाए जाएंगे. यह कंट्रोल ब्लास्ट होगा. एजेंसी ने बिल्डर को जानकारी दी है कि जिस तरह से झरने से पानी एक दिशा में गिरता है, उसी तरह से इमारत तोड़कर मलबा गिराया जाएगा. बताया गया है कि एजेंसी को टावर तोड़ने की तैयारी में 2 महीने 25 दिन का समय लगेगा. इसके बाद सिर्फ 10 सेकेंड में ही टावर ढहा दिए जाएंगे. उसके बाद मलबा उठाकर जगह को साफ करने में करीब 3 महीने का समय लगेगा. इस तरह से पूरी प्रक्रिया में करीब 6 महीने का समय लगेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने टावर गिराने के लिए 3 महीने का समय दिया था. दरअसल ट्विन टावरों को अवैध करार देते हुए इन्हें तोड़ने का आदेश दिया गया था. लेकिन 31 अगस्त तक तीन महीने के भीतर टावर नहीं तोड़े जा सके. नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि बिल्डर से लगातार एक्शन प्लान मांगा गया था, लेकिन वे एजेंसियों को समय पर एक्शन प्लान नहीं दे सके. इसे लेकर उन्होंने कोर्ट में अपनी अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल की है.