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भारतीय जीवन बीमा निगम और आईपीओ को लेकर आई बड़ी खबर, जनवरी के अंतिम हफ्ते में आईपीओ प्रॉस्पेक्ट्स दाखिल कर सकता है

सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम 5 फीसदी से 10 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है. इससे सरकार को 1 लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं.

देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम जनवरी के अंतिम हफ्ते में आरंभिक सार्वजनिक पेशकश के लिए प्रॉस्पेक्ट्स दाखिल कर सकता है. सरकारी बीमाकर्ता की योजना 31 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में आईपीओ प्रॉस्पेक्टस का मसौदा दाखिल करने की है, जो एलआईसी के एम्बेडेड मूल्य के साथ-साथ प्रस्ताव पर शेयरों की संख्या प्रदान करेगा. उन्होंने मौजूदा कोरोना की लहर शेड्यूल को बाधित कर सकती है. वित्त मंत्रालय  वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक एलआईसी की लिस्टिंग चाहता है. माना जा रहा है कि एलआईसी का आईपीओ 1 लाख करोड़ रुपये का होगा. यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने इस बारे में बताया है. इस पर वित्त मंत्रालय से कोई टिप्पणी नहीं मिली है. एलआईसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया है. तय समय सीमा मार्च के अंत तक पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को एलआईसी को लिस्ट करने के लिए ट्रैक पर ले जाएगी, जिससे राजस्व को बहुत जरूरी बढ़ावा मिलेगा. ब्लूमबर्ग न्यूज ने सितंबर में रिपोर्ट दी थी कि सरकार ने बीमाकर्ता में 5 फीसदी से 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की मांग की थी, इससे सरकार 1 लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं.

सरकार को अभी पूरी वैल्युएशन रिपोर्ट का इंतजार

उन्होंने कहा कि सरकार को अभी पूरी वैल्युएशन रिपोर्ट का इंतजार है और उसके आधार पर अनुमानित मूल्यांकन बदल सकते हैं. उन्होंने कहा कि एलआईसी का वैल्यू तथाकथित एम्बेडेड वैल्यू से पांच गुना अधिक हो सकता है. यह अधिकांश बीमाकर्ताओं की तुलना में 3 से 4 गुना से अधिक है.

आईपीओ से पहले एलआईसी की कमाई घटी

आईपीओ आने से पहले एलआईसी की नये बिजनेस प्रीमियम इनकम में 20 फीसदी से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. पिछले महीने एलआईसी का नए कारोबार का प्रीमियम संग्रह 20.30 फीसदी गिरकर 11,434.13 करोड़ रुपए पर आ गया.

एफडीआई नियमों में होगा बदलाव

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारतीय जीवन बीमा निगम की विनिवेश प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में बदलाव करने की तैयारी कर रहा है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव ने कहा कि क्षेत्र से जुड़ी वर्तमान नीति एलआईसी की विनिवेश प्रक्रिया को आसान नहीं बनाएगी इसलिए इसमें संशोधन की जरुरत है. इस बारे में वित्तीय सेवा विभाग और निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग  के साथ चर्चा की जा रही है. इस समय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार बीमा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से 74 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति है.

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Pooja Pandey

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