काम की बात

इन 4 वजहों से किसान विकास पत्र में निवेश नहीं करने की दी जाती है सलाह, पढ़ें पूरी डिटेल्स

किसान विकास पत्र की लॉक-इन अवधि सामान्य बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में काफी अधिक है. बैंक में फिक्स किए जाने वाले डिपॉजिट को किसी भी समय एक मामूली फाइन के साथ तोड़ा जा सकता है.

बुरा वक्त कभी भी बताकर नहीं आता है और ये बात हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं. भविष्य में आने वाली किसी भी तरह के वित्तीय संकट , बीमारी, बच्चों की शिक्षा, बच्चों की शादी जैसे कामों में हम सभी को पैसों की जरूरत पड़ती है. कई बार तो लोगों के पास इतना जमापूंजी  भी नहीं होती कि वे अपनी बीमारी का अच्छा इलाज करा सकें. यही वजह है कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए लोग अपनी जमापूंजी को निवेश  कर देते हैं. लेकिन, यहां भी एक बड़ी समस्या आती है. निवेश हमेशा दो चीजों को ध्यान में रखकर करना चाहिए- पैसों की सुरक्षा और रिटर्न. पैसा हमेशा ऐसी जगह लगाना चाहिए, जहां वह सिर्फ सुरक्षित ही न हो बल्कि बढ़िया रिटर्न भी दे.

किसान विकास पत्र में निवेश करना क्यों फायदेमंद नहीं है

आज हम यहां आपको किसान विकास पत्र के बारे में कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं. निवेश से जुड़े जानकार केवीपी स्कीम का समर्थन नहीं करते हैं. वे केवीपी में पैसा लगाने की सलाह भी नहीं देते हैं. किसान विकास पत्र में पैसा नहीं लगाने के पीछे 4 प्रमुख कारण हैं. यहां हम आपको उन्हीं 4 कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं.

साधारण ब्याज दर

किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 7.3 फीसदी (1 जनवरी 2018 से) है जो इसी श्रेणी के अन्य स्कीम जैसे- पीपीएफ खाता, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और फिक्स्ड डिपॉजिट आदि की तुलना में लगभग बराबर या कम है. इतना ही नहीं, बाकी स्कीम में कई अन्य लाभ भी मिलते हैं जो किसान विकास पत्र में निवेश के मामले में उपलब्ध नहीं हैं.

सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में कटौती

इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी कई तरह की स्कीम में किए गए निवेश के लिए 1,50,000 रुपये की रकम पर टैक्स में छूट की अनुमति देता है. हालांकि, किसान विकास पत्र में किए गए निवेश के लिए धारा 80C के तहत टैक्स में किसी भी तरह की छूट नहीं मिलती है.

जबकि इसी श्रेणी में अन्य स्कीम जैसे- पीपीएफ खाता और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र में किए गए निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में छूट मिलती है. बैंकों के साथ 5 साल के फिक्स्ड डिपॉजिट में किए गए निवेश को भी सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में छूट मिलती है.

अर्जित ब्याज पर देना पड़ता है टैक्स

किसान विकास पत्र पर अर्जित किए जाने वाले ब्याज के पैसे, ‘अन्य स्रोतों से आय’ के मद में आते हैं. लिहाजा, इससे मिलने वाले ब्याज के पैसों पर टैक्स देना पड़ता है. जबकि अन्य स्कीम जैसे- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट और पीपीएफ अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है.

लॉक-इन अवधि

किसान विकास पत्र की लॉक-इन अवधि सामान्य बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में काफी अधिक है. बैंक में फिक्स किए जाने वाले डिपॉजिट को किसी भी समय एक मामूली फाइन के साथ तोड़ा जा सकता है.

इन 4 कारणों की वजह से ही किसान विकास पत्र में निवेश नहीं करना चाहिए क्योंकि आपके पास इससे भी बेहतर विकल्प उपलब्ध हैं. एक निवेशक को पहले पीपीएफ खाते में निवेश करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि इससे अधिकतम लाभ मिलता है और जब वह पीपीएफ खाते में एक साल के दौरान 1,50,000 रुपये तक निवेश कर लेता है तो उसे फिक्स्ड डिपॉजिट और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र में निवेश कर सकता है.

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Pooja Pandey

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