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ओमिक्रॉन के बढ़ते कहर के बीच संक्रमित होते डॉक्टरों को लेकर क्या है सरकार की रणनीति

देश में कोरोना की पिछली लहर में बहुत से डॉक्टर लोगों का इलाज करते हुए संक्रमित हुए थे. तब डॉक्टरों को 14 दिन के क्वारंटीन में रखा गया था. इससे कई मरीजों का इलाज़ भी प्रभावित हुआ था. आईएमए के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर में देशभर में 500 से अधिक डॉक्टरों की कोरोना से मौत भी हुए थी.

देश में ओमिक्रॉन के खतरे के बीच कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं. राजधानी दिल्ली में तो तेजी से कोरोना फैल रहा है. इससे आम लोगों के साथ-साथ अब डॉक्टर भी संक्रमित हो रहे हैं. दिल्ली में अब तक 50 से अधिक डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. इनमें एम्स में 7, सफदरजंग में 23, आरएमएल में 05, लोकनायक में 05, लेडी हार्डिंग अस्पताल में 10 और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के 03 डॉक्टर हैं. दिल्ली के अलावा बिहार के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में भी अब तक कुल 153 डॉक्टरों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है. एम्स पटना में भी चार डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं. संक्रमितों में बड़ी संख्या रेजिडेंट डॉक्टरों की है. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि अगर डॉक्टर इतने बड़े पैमाने पर संक्रमित होने लगे और उनको क्वारंटीन किया गया तो अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी असर पड़ सकता है.

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि फिलहाल जो डॉक्टर संक्रमित मिले हैं. उनमें अधिकतर में लक्षण काफी हल्के हैं. डॉक्टरों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं. इसके बाद पता चल सकेगा कि डॉक्टरों में ओमिक्रॉन वेरिएंट है या नहीं. अधिकारी का कहना है कि फिलहाल मौजूदा कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से ही डॉक्टरों को आइसोलेट किया जा रहा है. अधिकतर घर पर ही इलाज करा रहे हैं. अब आने वाले दिनों में क्वारंटीन नियमों की समीक्षा की जाएगी. देखा जाएगा कि अस्पतालों में कितने मरीज भर्ती हों रहें हैं और डॉक्टरों के संक्रमित होने की संख्या कितनी है. अगर अस्पतालों में मरीज नहीं बढ़ते हैं तो कोई चिंता की बात नहीं है, लेकिन अगर स्थिति बिगड़ी तो केंद्र सरकार से बातचीत की जाएगी.

क्या कहते हैं एम्स के डॉक्टर

नई दिल्ली एम्स के कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर युद्धवीर सिंह का कहना है कि ओमिक्रॉन के केस भले ही तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में कम ही मरीज भर्ती हो रहे हैं. ऐसे में अगर संक्रमण के मामले बढ़ते भी हैं तो अस्पतालों में ज्यादा मरीज नहीं होंगे. जब अस्पताल में संक्रमितों की संख्या कम रहेगी तो इनके इलाज में ज्यादा परेशानी नहीं होगी. डॉ. युद्धवीर के मुताबिक, रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी)  ने एक नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जिसके मुताबिक, कम लक्षणों वाले डॉक्टर पांच दिन के क्वारंटीन के बाद ड्यूटी ज्वाइन कर सकते हैं.

चूंकि ओमिक्रॉन के संक्रमितों में हल्के ही लक्षण हैं. ऐसे में पांच दिन के भीतर डॉक्टर काम पर लौट सकते हैं. ऐसी स्थिति में अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी होने की आशंका कम ही रहेगी. वैसी स्थिति नहीं होगा जैसा की हमने दूसरी लहर के दौरान देखा था. तब डेल्टा के लक्षण काफी गंभीर थे. डॉक्टरों को 14 दिन तक आइसोलेट रहना पड़ रहा था, लेकिन इस बार हालात अलग हैं. ऐसे में उम्मीद है कि केस बढ़ने पर भी अस्पतालों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा. दिल्ली के मूलचंद अस्पताल के प्लमोनोलॉजी विभाग के डॉक्टर भगवान मंत्री ने बताया कि मौजूदा स्थिति में डॉक्टरों की ड्यूटी रोस्टर के हिसाब से लगाई जा रही है.

ऐसे में अगर एक ग्रुप संक्रमित होता है तो दूसरे डॉक्टर सेवाएं दे सकते हैं. डॉ. का कहना है कि ओमिक्रॉन के मरीज घर पर ही इलाज़ करा रहे हैं. कम ही मरीजों को अस्पतालों में आने की जरूरत पड़ रही है. अगर आने वाले दिनों में डॉक्टर संक्रमित होते हैं तो उनमें भी हल्के लक्षण ही होंगे. इस स्थिति में टेली मेडिसिन एक बेहतर विकल्प है. क्योंकि मरीज भी अस्पताल आने से बच रहें है तो ऑनलाइन माध्यम से ही डॉक्टर उनका इलाज़ कर देंगे. ऐसे में डॉक्टर अगर संक्रमित होते भी हैं तो वह घर पर रहकर भी मरीजों को अपनी सेवाएं दे सकेंगे. जिससे कोई परेशानी नहीं होगी.

सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर राजेश आचार्य का कहना है कि फिलहाल अगर किसी भी डॉक्टर को कोरोना का कोई लक्षण दिख रहा है तो उन्हे तुरंत टेस्ट कराना चाहिए. अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो खुद को आईसोलेट करें. इसके बाद यह देंखे कि उनको लक्षण कैसे हैं. अगर डॉक्टर ऐसोमटोमैटिक है तो वह अस्पताल में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मरीज को सेवाएं दे सकते हैं. चूंकि अधिकतर डॉक्टर पहले भी संक्रमित हुए हैं और उनको वैक्सीन की दोनों डोज लग गई है. ऐसे में उम्मीद है कि डॉक्टरों मे भी इस वेरिएंट के लक्षण हल्के ही होंगे. ऐसे में अस्पतालों में स्थिति नियंत्रण में रहेगी.

कोरोना का विस्फोट

देश सहित राजधानी दिल्ली में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सोमवार को दिल्ली में कोरोना के 4099 केस आए हैं, जो पिछले साल जून के बाद सबसे अधिक हैं. कुल संक्रमितों में से 81 फीसदी में ओमिक्रॉन वेरिएंट मिल रहा है. राजधानी में इस वेरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं. तेजी से बढ़ते संक्रमितों के चलते एक्टिव मामलों की संख्या भी 10986 हो गई है. पॉजिटिविटी रेट भी 6 फीसदी से अधिक हो गया है. दिल्ली के अलावा महाराष्ट में भी केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में राज्य में कोरोना के 12,160 मामले सामने आए हैं. इससे कोविड के कुल एक्टिव मामलों की संख्या 37,274 हो गई है. ओमिक्रॉन के भी सबसे अधिक मामले दिल्ली और महाराष्ट्र में ही हैं. इनके अलावा हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल और कई अन्य राज्यों में भी संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली है. कई एक्सपर्ट का दावा है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो गई है.

दक्षिण अफ्रीका का अध्ययन देता है राहत

दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अध्ययन किया था. जिसके परिणामों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से शरीर में इम्यूनिटी बन रहा है. जो डेल्टा के प्रभाव को कम कर रहा है. ऐसे में यह जल्द ही डेल्टा को रिप्लेस कर सकता है. अगर ओमिक्रॉन इसी प्रकार से हल्के लक्षणों वाला ही रहा, तो लोगों को इससे खतरा नहीं होगा. इस स्थिति में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या में काफी कमी आएगी. लोगों को सिर्फ सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण रहेंगे और और यह महामारी पहले की तुलना में कम घातक रह जाएगी.

अमेरिका के प्रसिद्ध डॉक्टर अफशीन इमरानी का कहना है कि ओमिक्रॉन लगभग 80 फीसदी आबादी को संक्रमित करेगा. ऐसे में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी भी संक्रमित होंगे, तो इस स्थिति में 30 से 70 फीसदी स्टाफ को क्वारंटीन नहीं किया जा सकता. ऐसा करने से अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी हो सकती है. जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. डॉ. इमरानी का कहना हे कि ओमिक्रॉन एक सामान्य फ्लू ही है. इसलिए  अगर अस्पतालों के स्टाफ को ओमिक्रॉन होता भी है तो वह मास्क लगाकर मरीजों का इलाज आसानी से कर सकते हैं.

पिछली लहर में भी काफी डॉक्टर हुए थे संक्रमित

देश में कोरोना की पिछली लहर में बहुत से डॉक्टर लोगों का इलाज करते हुए संक्रमित हुए थे. तब डॉक्टरों को 14 दिन के क्वारंटीन में रखा गया था. इससे कई मरीजों का इलाज़ भी प्रभावित हुआ था. आईएमए के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर में देशभर में 500 से अधिक डॉक्टरों की कोरोना से मौत भी हुए थी. देश में अभी तक ओमिक्रॉन के 1800 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं. इनमें से 766 रिकवर भी हो चुके हैं. अधिकतम संक्रमितों में काफी हल्के लक्षण हैं. ऐसे में देखना होगा कि अगर आने वाले दिनों में डॉक्टर संक्रमित होते हैं तो सरकार किस रणनीति पर काम करेगी. बिहार के प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अरुण साहा कहते हैं कि दुनिया में 4 लाख के करीब ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों में केवल 64 की मौत हुई है, उनमें भी ज्यादातर इम्युन कंप्रोमाइज थे. इसलिए ही ये नॉर्मल फ्लू वायरस की तरह व्यवहार कर रहा है. इसलिए हेल्थ स्टाफ को क्वरेंटाइन करने की जरूरत नहीं है.

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Pooja Pandey

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