नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में NEET PG मामले पर बुधवार को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और ए एस बोपन्ना की बेंच ने सुनवाई शुरू की. ऐसी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द फैसला सुनाएगा. इसमें सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने 3 वरिष्ठ अधिकारियों की कमिटी बनाई थी और 31 दिसंबर को हलफनामा दाखिल किया है. वहीं वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि अभी तक यह मामला 3 जजों की बेंच में था. वहां जिरह अधूरी थी. जबकि बुधवार को यह मामला दो जजों की बेंच में लगा. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस हफ्ते 3 जजों की बेंच का गठन संभव नहीं था.
श्याम दीवान ने कहा कि यह सिर्फ EWS आरक्षण का मामला नहीं है. हमने OBC आरक्षण को भी चुनौती दे रखी है. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि 25 नवंबर को सरकार ने कहा था कि वह EWS आरक्षण की समीक्षा कर हलफनामा देगी. हमें पहले याचिकाकर्ता के वकीलों को सुनना होगा. कल सॉलिसिटर को सुनेंगे. वहीं सॉलिसिटर ने कहा कि मैं पूरी तरह से कोर्ट के हवाले हूं लेकिन अभी असामान्य स्थिति है. रेजिडेंट डॉक्टर भी काफी परेशानी उठा रहे हैं. इस पर जज ने कहा कि हम चाहते हैं कि श्याम दीवान और अरविंद दातार (याचिकाकर्ता के वकील) आज 4 बजे तक अपनी बात पूरी कर लें. कल सुबह हम सॉलिसिटर जनरल को सुनेंगे. इसके बाद वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि मैं रेज़िडेंट डॉक्टरों की संस्था के लिए पेश हुआ हूं. हम गतिरोध खत्म करना चाहते हैं. कल मुझे भी 5 मिनट का समय मिले.
याचिकाकर्ता के लिए अरविंद दातार ने कहा कि सवाल यह था कि क्या 8 लाख तय करने से पहले कोई कवायद की गई थी? वहीं श्याम दीवान ने कहा कि हमने OBC आरक्षण पर भी आपत्ति जताई है. इस मामले में सॉलिसिटर ने साफ किया कि ये कोटा जनवरी, 2019 का है और इसे कई आवेदकों पर लागू किया गया है. हम ऐसे बिंदु पर हैं जहां काउंसलिंग अटकी हुई है और जब हमें डॉक्टरों की सख्त जरूरत है और हम एक समाज के रूप में आरक्षण और लंबी बहस में नहीं जा सकते हैं.
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह रेजिडेंट डॉक्टरों की चिंता वास्तविक है. उन्होंने कहा कि अगर हम आज दीवान और दातार दोनों को सुन लें. यह केवल एसजी सुन सकते हैं. हालांकि याचिककर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि पिछले साल 13 जुलाई की इसकी घोषणा करते हुए 29 जुलाई को अधिसूचना भी जारी की गई थी. इस अधिसूचना के जरिए नियमों को बदलाव करते हुए 2500 सीटों पर प्रवेश के मानदंड को पूरी तरह से बदल दिया गया. जो नहीं किया जाना चाहिए. एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद बदलाव नहीं किया जाना चाहिए.