यूरोपीय संघ के तहत आने वाले देशों के लोगों के लिए अब कलर टैटू बनवाना पहले की तरह आसान नहीं होगा. क्योंकि इसकी कलर इंक में इस्तेमाल होने वाले कैमिकल बैन किए गए हैं.

दुनियाभर में बहुत से लोग टैटू बनवाना काफी पसंद करते हैं. लेकिन यूरोपीय संघ में इसके प्रति लोगों की दिवानगी अब शायद पहले की तरह दिखाई नहीं देगी. यहां 4 जनवरी से टैटू अपने रंग और चकम दोनों खो देंगे. हम मजाक नहीं कर रहे, यह सच है. ऐसा इसलिए क्योंकि जनवरी 2020 में यूरोपीय संघ के पंजीकरण, मूल्यांकन, प्राधिकरण और रसायनों के प्रतिबंध ने टैटू की रंगीन इंक (स्याही) में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले लगभग 4,000 कैमिकल पर प्रतिबंध लगा दिया है.
अब नियामक संस्था ने इंक की सप्लाई करने वालों को दूसरे विकल्प तलाशने के लिए 4 जनवरी, 2021 तक का वक्त दिया है. उसने इसके सप्लायर्स से उन एक जैसे रंग वाले केमिकल तलाशने को कहा है, जिसे रीच ने मंजूरी दी हुई है. ऐसे में 4 जनवरी से ईयू के टैटू आर्टिस्ट रंगीन इंक का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. संस्था के अनुसार, कुछ ऐसे कैमिकल पहले से ही प्रतिबंधित हैं, जो त्वचा के ऊपरी हिस्से के संपर्क में आते हैं. क्योंकि इनसे ‘कैंसर या आनुवंशिक म्यूटेशन’ का खतरा बना रहता है.
‘टैटू पर प्रतिबंध लगाना मकसद नहीं’
रीच इस बात पर जोर दे रहा है कि ‘उसका उद्देश्य टैटू पर प्रतिबंध लगाना नहीं, बल्कि टैटू में इस्तेमाल होने वाले रंगों और मेकअप को सुरक्षित बनाना है.’ टैटू आर्टिस्ट इस फैसले के बाद से काफी परेशान हैं. उन्हें अपने रोजगार पर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं. आर्टिस्टों का कहना है कि इस मामले में सप्लायर्स ज्यादा कुछ नहीं कर रहे हैं. ऐसे में लोगों के लिए रंगीन टैटू बनवाना मुश्किल हो गया है. कैमिकल पर प्रतिबंधों के बाद से पिगमेंट ब्लू 15:3 और पिगमेंट ग्रीन 7 रंग तक पहुंच मुश्किल हो जाएगी.
लोगों ने याचिका पर हस्ताक्षर किए
इस बीच सेव द पिगमेंट्स के नाम से एक याचिका पर 175,000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. इन दो पिगमेंट को लेकर रीच ने इंक सप्लायर्स को 4 जनवरी, 2023 तक का समय दिया है. हालांकि टैटू से संभावित कैंसर के खतरे के पुख्ता सबूत मिलना मुश्किल है और यूरोपीय टैटू आर्टिस्टों ने शिकायत की है कि नए नियम व्यवसाय को नुकसान पहुंचा सकते हैं. सदस्य देशों ने एक साल पहले नियमों को मंजूरी दी थी, साथ ही इंडस्ट्री को अपनी इंक में इस्तेमाल सामान को बदलने के लिए 12 महीने का समय दिया था.