कृषि

जैव उर्वरक से बढ़ रही है फसलों की उत्पादकता, रासायनिक खाद के मुकाबले कीमत भी है कम

जैव उर्वरक बीमारियों से लड़ने के साथ ही नमी को भी बरकरार रखते हैं. इसके अलावा खेत की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने का काम करते हैं. इन उर्वरकों के इस्तेमाल से फसल को 25 फीसदी कम यूरिया की जरूरत होती है यानी ये लागत को भी कम करते हैं.

फसलों की पैदावार बढ़ाने और उन्हें जहरीले रसायनों से बचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. जैव उर्वरक इसी कड़ी में एक शानदार विकल्प बनकर उभरा है. धीरे-धीरे यह समय की मांग बनजा रहा है. जैव उर्वरक किसानों और मिट्टी की गुणवत्ता के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस काम को हरियाणा का चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय अंजाम दे रहा है.

जैव उर्वरक दरअसल मिट्टी से निकाले गए छोटे-छोटे जीव हैं. लैब में उन्हें लिक्विड फॉर्म में बोतलों में भरा जाता है. वर्तमान में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में चार तरह के टीके बन रहे हैं. इसमें राइजोटीका, एजोटीका, फॉस्फोटीका और बायोटीका तैयार किया जा रहा है.

चार तरह के जैव उर्वरक किए जा रहे तैयार

सूक्ष्य जैविक विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बलजीत सिंह सारण डीडी किसान से बताते हैं कि हम चार तरह के टीके बना रहे हैं. रायजोटीका दालों में टीके का काम करता है. यह फसलों को नाइट्रोजन मुहैया कराता है. एजोटीका से अनाज वाली फसलों को पोषक तत्व मिलता है. फॉस्फोरस की जरूरत सभी फसलों को होती है. ऐसे में फॉस्फोटीका का इस्तेमाल किसान किसी भी फसल में कर सकते हैं. वहीं बायोटीका की बात करें तो यह पौधों में लगने वाली बीमारियों को नियंत्रित करता है.

इस्तेमाल से मिलते हैं कई फायदे

उर्वरकों का काम फसलों की पैदावार बढ़ाना होता है. लेकिन जैव उर्वरक एक कदम आगे है. ये बीमारियों से लड़ने के साथ ही नमी को भी बरकरार रखते हैं. इसके अलावा खेत की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने का काम करते हैं. इन उर्वरकों के इस्तेमाल से फसल को 25 फीसदी कम यूरिया की जरूरत होती है यानी ये लागत को भी कम करते हैं.

सामान्य खाद से कीमत भी है कम

वहीं ये सामान्य खाद से सस्ते भी हैं. एक लीटर जैव उर्वरक की कीमत 200 रुपए है. गुणवत्ता से भरपूर और कम कीमत पर उपलब्ध जैव खाद के इस्तेमाल के बारे में बताते हुए डॉ बलजीस सिंह सारण कहते हैं कि इसको बीज उपचार के समय ही इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए अगर गेहूं की बात करें तो 10 किलो बीज के लिए 50 मिली लीटर जैव उर्वरक की जरूरत होगी यानी एक लीटर में 2 क्विंटल बीज को उपचारित किया जा सकता है.

उपचारित करने की विधि के बारे में जानकारी देते हुए डॉ सारण बताते हैं कि 50 मिली जैव उर्वरक को 250 मिली पानी में गुड़ या चीनी डालकर घोल बना लें. घोल को 10 किलो बीज पर छिड़क कर मिला दें.

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Rajiv Goyal

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